बाल गीत – बुलबुल और जुगनू
बुलबुल और जुगनू
नन्हीं बुलबुल फुदक – फुदक कर,
उड़ती चुगती रही शाम तक।
रजनी ने जब पर्दा डाला,
कहीं नहीं तब रहा उजाला।
कैसे जाऊं अपने घर,
बुलबुल रोई सिसक – सिसक कर।
जुगनू एक निकट आ बोला,
कानों में जैसे रस घोला।
उड़कर मेरे पीछे आओ,
आंसू पोंछो मत घबराओ।
मैं दीपक दिखलाऊंगा,
तुमको घर पहुंचाऊंगा।