उत्तर : संधि और समास में अंतर (Difference between Joining and Compound)
संधि और समास परस्पर मिलती-जुलती प्रक्रियाएँ लगती हैं लेकिन संधि में शब्दों का मेल होता है, जबकि समास में पदों का। परंपरागत संधि के स्थल प्रायः निश्चित हैं अर्थात् संधि में जिन दो शब्दों का योग होता है, उनमें पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की आरंभिक ध्वनि में परिवर्तन होता है। समास में आवश्यक नहीं कि जिन पदों का समाहार हो उनमें ध्वनिगत विकार भी लक्षित हों; जैसे-‘विद्या के लिए आलय’ से विद्यालय। समास बनाने में विद्या तथा आलय में कोई ध्वनि परिवर्तन नहीं हुआ; केवल इनके बीच प्रयुक्त परसर्ग ‘के लिए’ का लोप हुआ। समास रचना में भी कहीं-कहीं ध्वनि परिवर्तन होता है; किंतु उसका स्थल संधि की भाँति सीमित या निश्चित न होकर उससे व्यापक होता है अर्थात् उसमें ध्वनि- परिवर्तन संधि स्थल से परे पहले शब्द की आरंभिक ध्वनि में भी हो सकता है; जैसे-‘घोड़ों की दौड़’ से घुड़दौड़। समास बनने में पूर्व पद घोड़ों का अंत्य-ओं तो लुप्त हुआ ही, साथ ही उसका आरंभिक वर्ण दीर्घ से ह्रस्व हो गया।
संधि और समास में अर्थ के स्तर पर एक मुख्य अंतर यह है कि संधि में जिन शब्दों का योग रहता है, उनका मूल अर्थ परिवृतत नहीं होता, जैसे-विद्यालय में विद्या और आलय दोनों शब्दों का मूल अर्थ सुरक्षित है; जबकि समास से बने शब्दों का मूल अर्थ सुरक्षित रह भी सकता है (जैसे-देशभक्ति, सेनापति) और नहीं भी (जैसे- जलपान)। जलपान का अर्थ जल का पान नहीं, अपितु नाश्ता, चाय आदि है। ऐसे ही जलवायु, हथकड़ी, कालापानी, आबोहवा पदों का मूल अर्थ बदल गया है।