प्रश्न – मनुष्यता कविता का मूल भाव अपने शब्दों में समझाएं।
उत्तर – श्री सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘मनुष्यता’ कविता में मानवता, एकता, सहानुभूति, सदभाव, उदारता और करुणा आदि के भाव को प्रतिपादित किया गया है।
कवि अपनी कविता के द्वारा मनुष्य को स्वार्थ, भिन्नता, वर्गवाद, जातिवाद आदि संकीर्णताओं से मुक्त करना चाहता है। मनुष्य में उदारता के भाव भरना चाहता है।
कवि चाहता है कि हर मनुष्य समस्त संसार में अपनत्व की अनुभूति करे।
हर मनुष्य को दुखियों, वंचितों और जरूरतमंदों के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने को भी तैयार रहना चाहिए। वह कर्ण, दधीचि, रंतिदेव आदि के अतुल त्याग से प्रेरणा लें।
एक दूसरे का सहयोग करके देवत्व को प्राप्त करे। वह हंसता – खेलता जीवन जीए तथा आपसी मेल भाव को बढ़ाने का प्रयास करे। उसे किसी भी सूरत में अलगाव और भिन्नता को हवा नहीं देनी चाहिए।
यही इस कविता का मूल भाव है।