पहलवान की ढोलक – सार
पहलवान की ढोलक – फणीश्वरनाथ रेणु
राजसत्ता में परिवर्तन में परिवर्तन के साथ सामाजिक परिर्वतन
सारांश
नौ वर्ष की आयु में माता-पिता के देहान्त के बाद सास ने लुट्टन को पाला। बड़ा हो लुट्टन पहलवान बना। श्यामनगर के दंगल में चाँद सिंह नामक नामी पहलवान को हराने पर राजा ने उसे राज पहलवान बना लिया। लुट्टन के दिन मजे में गुजरने लगे। वह ढोल को अपना गुरु मानता। लेकिन राजा के देहान्त होने पर उसके बेटों ने लुट्टन को बोझ जान दरबार से निकाल दिया। लुट्टन व उसके बेटे जैसे-तैसे गुज़ारा करने लगे। अंत में महामारी ने उनको भी अपना ग्रास बना लिया।