पत्र का प्रारूप
पत्र का प्रारूप
1. संबोधन- पत्र प्राप्तकर्ता का पता बाईं ओर लिखा जाता है, अपने संबंध के अनुसार संबोधन शब्द लिखा जाता है:
(क) अपने से बड़े पुरुषों के लिए :
पूज्य, पूजनीय, आदरणीय, माननीय, श्रद्धेय श्री ।
(ख) बड़ी स्त्री के लिए :
पूजनीया, पूज्या, आदरणीया, माननीया ।
(ग) विवाहित स्त्री के लिए :
श्रीमती, सौभाग्यवती ।
(घ) अविवाहित स्त्री के लिए :
सुश्री ।
(ङ) अपने से छोटे के लिए :
प्रिय, प्रियवर, चिरंजीव ।
(च) मित्रों के लिए :
प्रिय, प्रियवर, प्यारे, स्नेहिल, मित्रवर ।
(छ) सखी के लिए :
प्रिय, प्यारी, स्नेही ।
(ज) पुरुष अधिकारी के लिए :
मान्यवर, श्रीमान, महानुभाव, महोदय, आदरणीय, परमादरणीय।
(झ) स्त्री अधिकारी के लिए :
माननीया, आदरणीया, महोदया ।
(ञ) व्यापार संबंधी :
श्रीमान जी, प्रिय महोदय, महोदय, महोदया, प्रिय महोदया ।
2. अभिवादन – संबोधन के बाद पत्र प्राप्तकर्ता के संबंधानुसार अभिवादन किया जाता है :
(क) बड़ों को : प्रणाम, सादर प्रणाम, चरण-स्पर्श, सादर नमस्कार, नमस्ते ।
(ख) छोटों को – आशीर्वाद, शुभाशीष, चिरायु हो, चिरंजीवी हो, खुश रहो, प्रसन्न रहो।
3. पत्र का विषय-वस्तु निरूपण – विषय, पत्र का प्राण है। आकर्षक तथा प्रभावशाली ढंग से आवश्यकतानुसार अनुच्छेदों में विभाजित पत्र ही लेखक के मूल उद्देश्य को सुगमतापूर्वक पूरा कर सकता है।
4. हस्ताक्षर – पत्र के अंत में लिखने वाला अपने हस्ताक्षर करता है। हस्ताक्षर न टाइप किया जाए, न ही रबर की मोहर से होना चाहिए, हस्ताक्षर अपने हाथ से और स्याही में ही होना चाहिए। हस्ताक्षर के नीचे अपने पद का उल्लेख (केवल व्यावसायिक और कार्यालयीय पत्रों में) करना चाहिए।