पतझर में टूटी पत्तियाँ

प्रश्न . ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ में गांधी जी के संदर्भ में दो प्रकार के सोने की चर्चा क्यों की गई है और कैसे कहा जा सकता है कि गांधी जी गिन्नी का सोना थे? अपना तर्कसम्मत मत व्यक्त कीजिए।

उत्तर – पाठ ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ में दो प्रकार के सोने की चर्चा की गई है। शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना।

शुद्ध सोना अलग है और गिन्नी का सोना अलग।

शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते हैं। चंद लोग उनमें व्यावहारिकता का थोड़ा सा ताँबा मिला देते हैं और चलाकर दिखाते हैं।

गाँधी जी आदर्शवादी थे। अपने व्यवहार को आदर्श के समान ऊँचा बनाते थे। दूसरे शब्दों में वे तांबे में सोना मिलाते थे। वे अपने आदर्शों को व्यावहारिक बनाने के नाम पर उन्हें नीचे नहीं गिराते थे।

गाँधी जी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात झलकती है। लोग गांधी जी को ‘व्यावहारिक और आदर्शवादी’ कहते और मानते थे।

इसलिए वे अपने विलक्षण आदर्श चला सके। इस प्रकार कहा जा सकता है कि गांधी जी गिन्नी का सोना थे।