निबंध लेखन : व्यायाम और खेल


व्यायाम और खेल


प्रस्तावना – अच्छा स्वास्थ्य जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। स्वस्थ और शक्तिशाली पुरुष ही पृथ्वी पर सुखों का उपभोग कर सकता है । उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। विजयलक्ष्मी भी उसी को प्राप्त होती है। असफलता के उसे दर्शन नहीं होते। उसमें साहस और शक्ति का निरंतर संचार होता रहता है। संसार भी उसी का आदर करता है, जिसमें आत्मविश्वास की भावना प्रबल होती है और वह अपने-आप पर निर्भर होता है। इसके विपरीत जिसके पास स्वास्थ्य नहीं, उसका जीवन नीरस हो जाता है। उसे चारों ओर अंधकार ही दिखाई पड़ता है, धन रहते हुए भी वह उसका उपभोग नहीं कर पाता, उसे जीवन का आनंद नहीं मिलता। अस्वस्थ व्यक्ति को सुखों से वंचित रह जाना पड़ता है। स्वास्थ्य से ही धर्म आदि भी संभव होते हैं – “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनं” का सिद्धांत तो प्रसिद्ध ही है।

व्यायाम और खेलों में भेद – भारतवर्ष में व्यायाम की अनेक पद्धतियों का प्रचलन है। कुश्ती लड़ना, घोड़े की सवारी करना, दंड-बैठक लगाना, जल में तैरना, मुगदर हिलाना और आसन आदि व्यायाम मुख्य हैं। आसनों में शीर्षासन, प‌द्मासन आदि प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त लेजिम, लाठी आदि गुणकारी व्यायाम भी प्रचलित हैं। खेलों में लंबी कूद, ऊंची कूद, क्रिकेट हॉकी, फुटबॉल, वालीबॉल और कबड्डी आदि अत्यंत लाभप्रद हैं। व्यायाम से शक्ति बढ़ती है, शरीर की शिथिलता दूर होती है, रक्त संचार अच्छी तरह से होता है, पाचन शक्ति कभी मंद नहीं पड़ती और हृदय की गति वेगयुक्त होती है। इससे सारा शरीर सुगठित और सुडौल हो जाता है, वक्षस्थल उभर आता है, शरीर के प्रत्येक अवयव पुष्ट हो जाते हैं, आँखें सतेज रहती हैं तथा मुख एक अपूर्व आभा से दीप्त रहता है। उत्साह, आत्मविश्वास और निर्भीकता की वृद्धि भी इससे होती है। व्यायाम करने से इन लाभों के अतिरिक्त, किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता और शरीर वज्र के समान हो जाता है।

व्यायाम और खेलों से लाभ – शरीर के स्वस्थ रहने से मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। स्वस्थ, शरीर में रक्त संचार ठीक ढंग से होता है, इसीलिए बुद्धि का विकास होता है। इसके अतिरिक्त व्यायाम का चरित्र पर भी पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। मन की दुष्ट
वृत्तियों का लोप हो जाता है और इंद्रियों के विषय संयमित हो जाते हैं। यही मनुष्य का भूषण है। इसके अतिरिक्त सहनशीलता और क्षमा का प्रवेश चरित्र में होने लगता है। व्यायाम और खेलों में अभिरुचि रखने वाला बालक झूठ और छल से घृणा करने लगता है। क्रिकेट आदि खेलने से बुद्धिमानी, सभ्यता, शिष्टता, दृढ़ता, सहनशीलता और आज्ञापालन आदि गुणों का विकास होता है।

उपसंहार – मनुष्य को दीर्घजीवी होने की आकांक्षा हमेशा से रहती आई है। इसके लिए व्यायाम और खेल आवश्यक हैं। इस क्षेत्र में हमारा देश अभी बहुत पिछड़ा हुआ है। विद्यार्थियों को नित्य व्यायाम करना चाहिए। वृद्धों को भी व्यायाम और खेलों में अभिरुचि रखनी चाहिए, क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य में ही देश, समाज और व्यक्ति का कल्याण निहित रहता है।