CBSEclass 7 Hindi (हिंदी)EducationHindi GrammarNCERT class 10thParagraphPunjab School Education Board(PSEB)अनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

निबंध लेखन : विद्यालय का वार्षिकोत्सव


विद्यालय का वार्षिकोत्सव


प्रस्तावना – मेरे विद्यालय का नाम दिल्ली पब्लिक स्कूल, नई दिल्ली है। दिल्ली के शिक्षा-संस्थानों में इसका सर्वाधिक महत्त्व है। जब नया सत्र आरंभ होता है, तो आस-पास के प्रायः सभी लोग यह प्रयत्न करते हैं कि उनके बालकों को इस विद्यालय में ही स्थान प्राप्त हो जाए। दो सप्ताह तक दाखिले के लिए इतनी भीड़ होती है कि कुछ पूछिए नहीं।

वार्षिकोत्सव मनाने की प्रथा – वैसे तो दिल्ली पब्लिक स्कूल में समय-समय पर उत्सव होते ही रहते हैं, पर उसके वार्षिकोत्सव की तो एक निराली ही शान है। इस विद्यालय का वार्षिकोत्सव प्रतिवर्ष नवंबर के अंतिम सप्ताह में बड़े समारोह के साथ मनाया जाता है।

वार्षिकोत्सव मनाने की तैयारी – पिछले वर्ष के वार्षिकोत्सव की स्मृति तो सदा हृदय पटल पर बनी रहेगी। विद्यालय में सफ़ाई की जाने लगी । छात्रों को खेल-कूद, अभिनय और वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए तैयार किया जाने लगा। इस प्रकार विद्यार्थियों में सक्रियता की लहर दौड़ गई। आखिर बड़ी प्रतीक्षा के पश्चात् वार्षिकोत्सव की तिथि आ गई। प्रातःकाल से ही विद्यालय में आनंद और प्रसन्नता का सागर-सा उमड़ पड़ा। विद्यार्थियों और अध्यापकों ने मिलकर विद्यालय को ऐसा संवारा – सजाया था कि विद्यालय सचमुच एक देव मंदिर-सा प्रतीत हो रहा था।

दोपहर के बाद से ही अतिथिगण आ – आकर शामियाने में कुर्सियों पर बैठने लगे; ठीक दो बजते ही बैंड बज उठा। राष्ट्रीय धुन के साथ मुख्य अतिथि का आगमन हुआ। लोग उठकर खड़े हो गए। प्रधानाचार्य जी ने उनका स्वागत किया। उन्हें पुष्पमालाएँ पहनाई गई।

कार्यक्रम – ‘वंदेमातरम’ से कार्य आरंभ हुआ। ज्यों ही गीत समाप्त हुआ, खिलाड़ी मैदान में क्रमानुसार पहुँचने लगे। एक घंटे के अल्प समय में कई खेलों का भव्य प्रदर्शन किया गया। खेलों में कबड्डी, लेजिम, गदा और लाठी संबंधी खेल भी थे। सभी अतिथिगण छात्रों के कौशल को देखकर विस्मित हो उठे और मुक्त कंठ से उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करने लगे। खेलों के पश्चात् कुछ अन्य मनोरंजक कार्यक्रम भी हुए, जिनमें वाद-विवाद, संगीत और कविता-पाठ भी थे।

उपसंहार – मुख्य अतिथि जी ने अपने कर-कमलों से विजयी और कुशल छात्रों को पुरस्कार वितरित किए। फिर उन्होंने अपने सारगर्भित भाषण द्वारा छात्रों को उपदेश दिया। प्रधानाचार्य ने उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की। तत्पश्चात् धन्यवाद का कार्य संपन्न हुआ और ‘जन-गण-मन’ के साथ उत्सव समाप्त हो गया ।