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निबंध लेखन : निबंध का अर्थ


निबंध का अर्थ


‘निबंध’ शब्द निबंध के योग से बना है। ‘नि’ का अर्थ निःशेष (पूर्ण रूप से) और ‘बंध’ का अर्थ बंधन या गठन है। इस प्रकार, ‘निबंध’ शब्द का अर्थ हुआ – किसी विषय के समस्त पहलुओं को समाहित करते हुए विचारों का गठन करना।


निबंध के प्रकार


विषय-वस्तु के आधार पर निबंधों के निम्नलिखित मुख्य प्रकार हैं:


1. विचारात्मक निबंध – इन निबंधों में बौद्धिकता की प्रधानता रहती है। इनमें निबंधकार अनेक विषयों पर अपने मौलिक विचार प्रकट करता है तथा उन विचारों के पीछे तर्कशक्ति की प्रधानता रहती है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का निबंध इसी तरह का है।

2. भावात्मक निबंध – इन निबंधों में हृदय तत्त्व की प्रधानता रहती है। इनमें समालोचक अपनी भावनाओं से कार्य लेता है। इसलिए निबंधकार और पाठक के बीच भावात्मक संबंध स्थापित हो जाते हैं। प्रतापनारायण मिश्र का ‘दाँत’ निबंध इसका उदाहरण है।

3. आत्मपरक निबंध – इन निबंधों में निबंधकार अपनी महत्ता प्रकट करता है। वह सिर्फ अपनी बात कहकर पाठक की सहानुभूति प्राप्त करता है। कवयित्री महादेवी वर्मा के अतीत के चलचित्र’ और ‘स्मृति की रेखाएँ’ निबंध इसी श्रेणी में आते हैं।

4. वर्णनात्मक निबंध – किसी वस्तु, स्थान, प्राणी, प्राकृतिक स्थान आदि का वास्तविक परिचय प्रस्तुत करने वाले निबंधों को वर्णनात्मक निबंध कहते हैं। इन निबंधों में रागात्मक वृत्ति प्रधान होती है और बुद्धि तत्त्व को कम स्थान मिलता है। बालकृष्ण भट्ट द्वारा लिखित ‘मेला-ठेला’ इस तरह के निबंध का सुंदर उदाहरण है।

5. विवरणात्मक निबंध – इन निबंधों में विवरण की प्रधानता होती है। इनमें प्राचीन या अर्वाचीन घटनाओं, पौराणिक अथवा ऐतिहासिक कथाओं, यात्राओं, संस्मरणों और साहसपूर्ण कृत्यों और कल्पनाओं का विवरण होता है। सियारामशरण गुप्त का ‘झूठ-सच’ इसी तरह का निबंध है। वासुदेवशरण अग्रवाल, बनारसीदास चतुर्वेदी और राहुल सांस्कृत्यायन ने भी इसी तरह के निबंध लिखे हैं।