CBSEclass 7 Hindi (हिंदी)EducationHindi GrammarNCERT class 10thParagraphPunjab School Education Board(PSEB)निबंध लेखन (Nibandh lekhan)

निबंध लेखन : ऋतुराज वसंत


ऋतुराज वसंत


प्रस्तावना – फाल्गुन मास के सुहावने दिन हैं । शिशिर विदा हो रही है। लोगों को थर-थर कँपाने वाला शीतकाल अब अपने हाथ-पैर समेट रहा है। अब प्रकृति सुंदरी अपना रूप संवारती है और वसंत का स्वागत करती है। रंग-बिरंगी चिड़ियाँ ऋतुराज के स्वागत में मीठे-मीठे कर्णप्रिय गान गाती हैं। खुशी की सीमा पारकर कलियाँ मुस्कुराने लगती हैं। आम्र-मंजरियों की भीनी-भीनी सुगंध दिशाओं को आपूरित करती है। उसी के बीच बैठी हुई कोयल अपनी सुरीली तान से वसंत का स्वागत करती है।

वसंत और प्रकृति – अब प्रकृति का सौंदर्य बड़ा ही निखरा हुआ जान पड़ता है। नायक वसंत ने नायिका प्रकृति को वसंती साड़ी पहनाई है। सरसों के पीले-पीले फूलों को देखकर मन में लालच समा जाता है। तालाबों में खिले हुए कमल आँखों को बड़े ही भले लगते हैं। वसंत के आते ही मानव मन में एक अजीब-सा परिवर्तन दिखाई पड़ता है। जन-मन उमंग में नाचने लगता है और शरीर में छा जाती है, एक मादकता।

हिंदुओं का विख्यात पर्व – होली भी वसंत की रंगरेलियों में अपना रंग लुटाने आती है। बाल-वृद्ध सभी जीवन के इस निराले मेले में खुशी के गीत गाने लगते हैं। हास्य और विनोद, मानो शरीरधारी बनकर हमारे सामने आते हैं। फाग बड़ी धूम-धाम से होता है और चारों ओर गुलाल की वर्षा होती है। पिचकारियाँ रंग के फव्वारे छोड़ती हैं। मधुर मिलन परस्पर मनोमालिन्य का अंत करता है। कवि और वसंत का सहज मेल है। कवि सौंदर्य का सच्चा पुजारी है और वसंत सौंदर्य की सृष्टि करता है। अतः कवि की लेखनी प्रकृति के रमणीय प्रांगण में थिरक और नाचकर अपने दिल के अरमान मिटाती है। कवियों ने वसंतकालीन प्रकृति के अंग-अंग देखे हैं और कोने-कोने को झाँका है।

उपसंहार – वसंत ऋतुओं का राजा है। इस समय प्रकृति-सुंदरी अपना सर्वोत्कृष्ट रूप संवारती है। सभी प्राणी आनंद-सागर की तरंगों के बीच डूबते-उतराते हैं। नव-आभा, नव-स्फूर्ति, नव-जीवन का दाता है वसंत! इस समय तो चारों ओर आनंद का एक सागर-सा उमड़ पड़ता है।