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निबंधात्मक प्रश्न : तुम कब जाओगे, अतिथि


तुम कब जाओगे, अतिथि : शरद जोशी


प्रश्न 1. तीसरे दिन की सुबह अतिथि के अनुग्रह ने उसके किस इरादे को स्पष्ट कर दिया? लेखक पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर : तीसरे दिन की सुबह जब अतिथि धोबी के पास कपड़े भेजने का अनुग्रह किया तो उसका इरादा स्पष्ट हो गया। पर मन पर नियंत्रण रख उसकी इच्छा पूरी करने का निर्णय लिया गया। उस दिन लगा कि हमेशा ही अतिथि देवता नहीं होते। अतिथि की लॉण्ड्री वाली बात सुनकर पत्नी की आँखें बड़ी हो गई। उसका मन छोटा हो गया। उसे अहसास हो गया था कि अतिथि अधिक दिन ठहरने वाला है। उसकी यह धारणा निर्मूल नहीं थी। अतिथि से परिवार, बच्चे, नौकरी, फ़िल्म, राजनीति, रिश्तेदारी, तबादले, पुराने दोस्त, परिवार नियोजन, महँगाई, साहित्य, यहाँ तक कि आँख मार-मारकर पुराने प्रेमी-प्रेमिकाओं का भी जिक्र कर लिया। उसके बाद खामोशी छा गई। बोरियत होने लगी। भावनाएँ अपशब्दों का रूप ग्रहण करने लगीं, पर अतिथि था कि जाने का नाम ही नहीं ले रहा था। बार-बार मन में प्रश्न कूदने लगता था कि अतिथि कब वापिस जाएगा? अगर अतिथि का बस चलता तो वह यहीं रह जाता; उसे तो यह स्वीट होम लग रहा था, परंतु शराफ़त भी कोई चीज होती है। ‘गेट आउट’ भी एक वाक्य है जो बोलने में देर नहीं लगती।

प्रश्न 2. लेखक ने यह क्यों कहा कि अतिथि ! तुम्हारे जाने का यह उच्च समय अर्थात हाई टाइम है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : लेखक चौथे दिन भी अतिथि के वहाँ से जाने का नाम न लेने से परेशान हो गया है। वह अतिथि को दिखा-दिखाकर कैलेंडर की तारीखें बदलता है। लाखों मील की यात्रा करके चाँद पर पहुँचने वाले यात्री भी वहाँ पर इतने समय तक नहीं रुके थे, जितने दिनों से अतिथि लेखक के घर टिका हुआ था। लेखक को लगता है कि अतिथि ने उससे खूब आत्मीय संबंध स्थापित करके उसका काफ़ी खर्चा भी करा दिया है, जिससे उसका बजट भी डगमगा गया है। इसलिए अब भलाई इसी में है कि वह उसके घर से चला जाए। यही उसके जाने का हाईटाइम अथवा उचित समय है अन्यथा उसका यहाँ अतिथि सत्कार होना बंद हो जाएगा। अतिथि के चौथे दिन भी न जाने पर लेखक चाहता कि पाँचवें दिन अतिथि सम्मानपूर्वक उसके घर से जाने का निर्णय ले ले, अन्यथा वह उसे और अधिक समय तक अपने घर में नहीं सहन कर पाएगा। वह जानता है कि अतिथि को देवता माना जाता है परंतु अधिक समय तक ठहरने पर उसका देवत्व समाप्त हो जाता है, क्योंकि देवता थोड़ी देर के लिए दर्शन देकर चले जाते हैं। वे अधिक समय तक नहीं ठहरते। उनमें ईर्ष्या द्वेष के भाव नहीं होते। घरेलू परिस्थितियों की जटिलताओं का सामना उन्हें नहीं करना पड़ता। मनुष्य को उसकी परिस्थितियाँ प्रभावित करती हैं। लेखक निश्चय कर लेता है कि यदि अब भी अतिथि नहीं जाता है तो वह उसे अपमानित करके घर से निकाल देगा।

प्रश्न 3. लेखक अच्छा आतिथेय है- सिद्ध कीजिए।

उत्तर : लेखक अच्छा आतिथेय है, वह घर आए मेहमान का हृदय से स्वागत करता है। चाहे वह अतिथि बिना बुलावे के आया हो, फिर भी वह उसका स्नेहभरी मुस्कान से स्वागत करता है। रात को उसे अच्छा भोजन कराता है। भोजन में दो सब्ज़ियाँ, रायता तथा मीठा खिलाता है। लेखक ने अगले दिन दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा दी, सिनेमा दिखाया। उसके साथ खूब बातें कीं, ठहाके लगाएँ, इधर-उधर की गप्पें लगाईं। ये सब एक अच्छे आतिथेय के ही लक्षण हैं। लेखक के कोसने के पीछे दोष न लेखक का है, न अतिथि का। अतिथि थोड़ी देर के लिए आए ठीक है। बिना बताए अधिक दिनों तक रहना एक बोझ लगता है। इससे कोई भी व्यक्ति घबरा सकता है, उकता सकता है। ध्यान देने योग्य है कि लेखक के मन में तरह-तरह की बातें आईं, लेकिन उसने अतिथि के सामने प्रकट नहीं कीं। उसने अनचाहे अतिथि के बोझ को सहन किया। इससे भी उसके अच्छे आतिथेय होने का परिचय मिलता है।