नारी सृष्टिकर्ता की सर्वोत्तम कृति होती है। 🙏🙏


✍️ नारी सृष्टिकर्ता की सर्वोत्तम कृति होती है, वह सृष्टि के सम्पूर्ण सौंदर्य को आत्मसात किए रहती है।

✍️ एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि जो आपको नहीं जानते, उनकी आपके बारे में जो भी राय है, उसे नजरन्दाज कीजिए।

✍️जीवन के अच्छे पलों की हमेशा कद्र करनी चाहिए।

✍️दिल के टूटने से आप ज्यादा मजबूत बनते हैं।

✍️किसी के भी जीवन में सबसे खुशहाली के पल बचपन के ही होते हैं। इसलिए बचपन का खुशहाल होना सबसे ज्यादा जरूरी है।

✍️शायद किसी को अपने जीवन के सबसे अहम पलों का तब तक पता नहीं चलता है, जब तक कि वो पल गुज़र नहीं जाते हैं।

✍️अपने लिए कोई भी ऐसा काम मत करो, जो अन्य लोग आपके लिए कर सकते हैं।

✍️अच्छी सलाह अक्सर नज़रंदाज कर दी जाती है, लेकिन यह इस बात का कारण नहीं होना चाहिए कि सलाह दी ही नहीं जाए।

✍️बहुत ज्यादा दया अक्सर अपराध बढ़ाती है। इसलिए न्याय को पहले रखना चाहिए और दया को बाद में।

✍️दिन में दो सबसे महत्वपूर्ण क्षण वे होते हैं, जब आप सुबह अपनी आंखें खोलते हैं और जब सोने के लिए अपनी आंखें बंद करते हैं।

✍️खुद को यह बताना कि इस दुनिया में जन्म लेना कितनी बड़ी खुशकिस्मती है! यह बहुत सुखद अनुभव होता है। अगर हम पैदा नहीं हुए होते तो हम मानवीय आँखों में प्रेम की रोशनी नहीं देख सकते थे।

✍️सोने से पहले खुद से यह पूछना चाहिए कि आज सबसे सुखद क्या चीज़ हुई।

✍️शांत रहकर ही मस्तिष्क अपना काम अच्छी तरह से कर सकता है, यानि कि तार्किक रूप से सोच सकता है। जीवन की कठिन समस्याओं का सामना करते वक्त मौन का प्रयोग करना सीखना चाहिए

✍️मौन वह तत्व है, जिसमें बड़ी चीज़ें आकार लेती हैं।

✍️समस्या से निपटने की एक तकनीक है – आप जुटे रहें। हार न मानें।

✍️जब हम अपनी मुश्किलों का सामना लगन से करते हैं तो बहुत ही अद्भुत परिणाम मिलते हैं।

✍️जब हर चीज़ गड़बड़ा रही हो तो भी कोशिश करना बंद नहीं करना चाहिए। जुटे रहेंगे तो मंजिल तक पहुंच ही जाएंगे।

✍️उम्र अक्सर मन का मामला होती है। शरीर में होने से पहले यह कल्पना में होती है। जैसे – जब हम रात को कम सोते हैं तो खुद से कहते हैं कि पिछली रात मुझे ठीक से नींद नहीं आई, आज मुझे थकान होगी और फिर हमें थकान महसूस होती है। हमारे शरीर को नींद की उतनी जरूरत नहीं होती, जितनी कि हमें कल्पना करने पर होती है।

✍️अपने बारे में अपनी छवि को बदलना चाहिएखुद को अच्छे रूप में देखना चाहिए। हम जैसी छवि स्वयं की देखते हैं, वैसे ही बन भी जाते हैं।

✍️यह सच है कि पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहने वाले नहीं। परन्तु किनारे पर खड़े रहने वाले कभी तैरना नहीं सीख पाते