धन्यवाद पत्र : अपरिचित को धन्यवाद पत्र


खोई हुई पुस्तकें डाक से लौटाने के लिए आभार प्रदर्शित करते हुए किसी अपरिचित ‘अनुराग मिश्रा’ को पत्र लिखिए।


16/39, शक्ति नगर

नई दिल्ली

दिनांक : 23 फरवरी, 20XX

आदरणीय अनुराग जी

सादर अभिवादन

आज ही मुझे आपका भेजा हुआ पार्सल मिला। उस पार्सल में अपनी खोई हुई पुस्तकों को देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। मैं सोच भी नहीं सकता था कि आज के समय में भी भले लोग हैं। अच्छे लोगों से अभी दुनिया खाली नहीं हुई है, जो अपने पैसे खर्च करके दूसरों की भलाई करते हैं। मेरे लिए ये पुस्तकें बहुत ही आवश्यक और महत्त्वपूर्ण हैं। एक तो ये पुस्तकें बहुत महँगी हैं। इन्हें दुबारा खरीदने की क्षमता मुझ में नहीं है और साथ ही ये बाज़ार में आसानी से उपलब्ध भी नहीं होतीं।

मैं तो इन पुस्तकों को प्राप्त करने की आशा ही छोड़ चुका था और इन पुस्तकों के अभाव में मैं अपनी परीक्षा की तैयारी भी अच्छी तरह नहीं कर पा रहा था। खीझ और झुंझलाहट मेरे स्वभाव में बढ़ती जा रही थी, क्योंकि मैं निराशा के अंधकार में घिरता जा रहा था। ऐसे में आप मेरे लिए प्रकाश की किरण बनकर आए। आपकी इस सज्जनता ने मुझ पर उपकार ही किया है। आपकी इस सज्जनता व महानता के लिए अपने आभार को मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। आपने अत्यंत कृपा की है। इस कृतज्ञता के लिए मैं आपका आभारी हूँ। आपने यह सिद्ध कर दिया कि अच्छाई सदैव जीवित रहती है। पुनः मैं आपको धन्यवाद देता हूँ।

आपका शुभाकांक्षी

करन मेहरा