दोहे : रहीम जी
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1. प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता?
उत्तर : प्रेम आपसी लगाव और विश्वास के कारण होता है। यदि एक बार यह लगाव या विश्वास टूट जाए तो फिर उसमें पहले जैसा भाव नहीं रहता। मन में दरार आ जाती है। जिस प्रकार सामान्य धागा टूटने पर उसे जब जोड़ते हैं तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। इसी प्रकार प्रेम का धागा भी टूटने पर पहले के समान नहीं हो पाता।
प्रश्न 2. हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?
उत्तर : हमें अपना दुःख दूसरों के सामने नहीं करना प्रकट चाहिए, क्योंकि दूसरा उसका मज़ाक उड़ाता है। हमें अपना दुःख अपने मन में ही रखना चाहिए। अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार परिहास पूर्ण हो जाता है।
प्रश्न 3. रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?
उत्तर : रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि सागर का जल खारा होता है, वह किसी की प्यास नहीं बुझा सकता जबकि पंक जल धन्य है जिसे पीकर छोटे-छोटे जीवों की प्यास तृप्त हो जाती है इसलिए कवि ने ऐसा कहा है।
प्रश्न 4. एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
उत्तर : एक पर अटूट विश्वास करके उसकी सेवा करने से सब कार्य सफल हो जाते हैं तथा इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। एक को साधने से सब कार्य उसी प्रकार सिद्ध हो जाते हैं जिस प्रकार जड़ को सींचने से फल, फूल आदि मिलते हैं। उसी प्रकार परमात्मा को साधने से अन्य सब कार्य कुशलतापूर्वक संपन्न हो जाते हैं।
प्रश्न 5. जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?
उत्तर : जलहीन कमल की रक्षा सूर्य इसलिए नहीं कर पाता क्योंकि जल से ही कमल की प्यास बुझती है, वह खिलता है और जीवन पाता है। कमल की संपत्ति जल है। अपनी संपत्ति नष्ट होने पर दूसरा व्यक्ति साथ नहीं दे सकता।
प्रश्न 6. अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?
उत्तर : अवध नरेश श्री रामचंद्र अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए जब चौदह वर्ष वनवास पर थे तब वे चित्रकूट जैसे रमणीय वन में रुके थे। कवि विपदा पड़ने पर ईश्वर की शरण में जाने की बात कह रहे हैं क्योंकि मुसीबत में वन भी राजभवन दिखाई देता है।
प्रश्न 7. ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?
उत्तर : नट कुंडली को समेटकर झट से ऊपर चढ़े जाने की कला में सिद्धहस्त होता है।
प्रश्न 8. ‘मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : जिस प्रकार मोती का पानी उतर जाता है। अर्थात् उसकी चमक समाप्त हो जाती है तो उसका कोई महत्त्व नहीं रह जाता। मनुष्य का पानी उतरने से आशय मनुष्य का मान-सम्मान समाप्त हो जाता है। ‘चून’ पानी से ही गूँथा जाता है। सूखा आटा पानी के बिना किसी का पेट भरने में सहायक नहीं। इस प्रकार मोती, मनुष्य और चून के लिए पानी का अपना विशेष महत्त्व है।