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दीपावली

एक दीया दूसरे को जलाता है, दूसरा तीसरे को और दीपमाला बन जाती है।

सृष्टि में दीए ही दीए जल जाते हैं और सृष्टि में दीपावली आ जाती है।

ब्रह्मकुमारी शिवानी