CBSEEducationNCERT class 10thPunjab School Education Board(PSEB)

टोपी शुक्ला – लघु प्रश्न – उत्तर


प्रश्न. रामदुलारी की मार से टोपी पर क्या प्रभाव पड़ा? ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर – टोपी के द्वारा ‘अम्मी’ कहे जाने पर टोपी के घर में बवंडर पैदा हो गया। दादी के उकसाने पर माँ रामदुलारी ने टोपी की बहुत पिटाई लगाई तथा उसे इफ्फ़न से न मिलने की हिदायत दी। लेकिन पिटाई खाकर भी टोपी ने इफ्फ़न से मिलना नहीं छोड़ा वरन् इस पिटाई से टोपी बहुत उदास हो गया तथा उसका पूरा बदन दर्द करने लगा। उसे अपनी दादी से नफरत हो गई। वह सोचने लगा कि काश ! इफ़्फ़न की दादी से उसकी दादी को बदला जा सके। इफ्फ़न की दादी के मरने पर उसने इफ्फ़न से कहा भी कि तेरी दादी की जगह मेरी दादी मर जाती तो अच्छा रहता। वहीं वह मुन्नी बाबू से भी घृणा करने लगा। वह बस यही सोचता रहता था कि काश वह एक दिन के लिए मुन्नी बाबू से बड़ा हो पाता और उसे सबक सिखा पाता।

प्रश्न. टोपी ने इफ्फन की दादी से अपनी दादी बदलने की बात क्यों कही होगी? इससे बाल मन की किस विशेषता का पता चलता है?

उत्तर – टोपी और इफ्फ़न की दादी के बीच बड़ा ही सहज और आत्मीय संबंध था। इफ्फ़न और उसकी दादी से दोस्ती के बाद टोपी के जीवन में कुछ खुशियाँ आईं। उसे इफ्फ़न की दादी से भरपूर प्यार मिलता था। वे कभी बच्चों को डाँटती नहीं थीं। उसे बड़े प्यार से अपने पास बैठाकर बातें करती थीं। उनका स्वभाव स्नेहपूर्ण और ममत्व से भरा था। इन्हीं कारणों से टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात कही। इससे बाल मन की इस बात का पता चलता है कि बच्चे स्नेह और आत्मीयता की भाषा समझते हैं। प्रमाणस्वरूप इफ्फ़न के पूरे घर में उसकी दादी को छोड़कर हर व्यक्ति किसी न किसी तरीके से टोपी का दिल दुखाया करता था, फिर भी टोपी किसी न किसी बहाने इफ्फ़न के घर पहुँच जाया करता था। यह दोनों के अटूट प्रेम का परिणाम ही था कि अपने घर के लोगों के मना कर देने के बाद टोपी इफ्फ़न के घर जाकर उसकी दादी से कहानी सुना करता था। वह इफ्फ़न की दादी के आँचल में अपना अकेलापन भूल जाता था। इससे यह भी पता चलता है कि बाल मन पर प्यार व स्नेह का बहुत प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न. घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ्फ़न के घर और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए।

उत्तर – टोपी के घर वालों ने जब टोपी के व्यवहार में इफ्फ़न का प्रभाव देखा तो उन्होंने उसे इफ्फन के घर जाने से मना कर दिया था परंतु टोपी का लगाव इफ्फ़न की दादी से था। वह जब भी इफ्फ़न के घर जाता तो उसकी दादी के पास ही बैठने की कोशिश करता था। इफ्फ़न की बाजी और अम्मी उसकी बोली पर हँसत तो दादी ही बीच-बचाव करते हुए टोपी की भाषा में उन्हें डाँटती थी। वह बड़े स्नेह और आत्मीयता से उससे बात करती थी। टोपी और इफ्फ़न की दादी अलग-अलग जाति और मजहब के थे मगर दोनों अटूट रिश्ते से बँधे थे। प्यार का बंधन किसी जाति धर्म को नहीं मानता। जब दिल से दिल मिलता है तो जाति और धर्म बेमानी हो जाते हैं। दादी ने टोपी के दिल को पहचाना और टोपी ने दादी के प्यार को माना। इस प्रकार दोनों में एक पाक-साफ रिश्ता बना। इफ्फ़न की दादी के आँचल में टोपी अपना अकेलापन भूल जाता था। दादी को भी टोपी के साथ अपनेपन का अहसास होता था।

प्रश्न. समाज में समरसता बनाए रखने के लिए टोपी और इफ़्फ़न जैसे पात्रों का होना आवश्यक है। तीन तर्क देकर पुष्टि कीजिए।

उत्तर – समाज में समरसता बनाए रखने लिए टोपी और इफ्फ़न जैसे पात्रों का होना आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं :-

पहला – इफ्फ़न और टोपी जिगरी दोस्त हैं। दोनों आज़ाद प्रवृत्ति के हैं। अलग-अलग धर्म के होने पर भी दोनों में आत्मीयता है। दोनों एक-दूसरे के धर्मों का सम्मान करते हैं। सुख-दुख में सहभागी होते हैं तथा एक-दूसरे के मनोभावों को समझते हैं।

दूसरा – दोनों धार्मिक सद्भावना के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। दोनों का विचार है कि प्रेम न जाने जात-पाँत, प्रेम न जाने खिचड़ी-भात। दोनों अपने प्रेम के आड़े धर्म और और जात-पाँत को नहींआने हैं। मित्रता सामाजिक सौहार्द्र में सहायक होती है।

तीसरा – तर्क यह दिया जा सकता है कि दोनों अपने प्रेम रहन – सहन, हैसियत व रीति-रिवाज को नहीं आने देते थे। टोपी संपन्न परिवार से था तथा इफ्फ़न सामान्य परिवार से, पर इससे दोनों की मित्रता में कोई कमी नहीं थी।

प्रश्न. टोपी और इफ्फ़न अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे, पर दोनों एक अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में ‘टोपी शुक्ला’ कहानी पर विचार कीजिए।

अथवा

प्रश्न. मानवीय मूल्यों के आधार पर इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की दोस्ती की समीक्षा कीजिए।

अथवा

प्रश्न. जीवन मूल्यों के आधार पर इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला के संबंधों की समीक्षा कीजिए।

अथवा

प्रश्न. ‘अलग-अलग और जाति मानवीय रिश्तों में बाधक नहीं होते’ टोपी शुक्ला पाठ के आलोक में प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर – राही मासूम रज़ा की कहानी ‘टोपी शुक्ला’ में इफ्फ़न व टोपी जिगरी दोस्त हैं। टोपी और इफ़्फ़न अलग-अलग जाति और मजहब के हैं। धर्म, भाषा, पारिवारिक वातावरण, रहन-सहन आदि में पूर्णतः भिन्न होते हुए भी दोनों गहरे मित्र थे। दोनों अटूट रिश्ते से बँधे थे। यह रिश्ता आंतरिक था, बाह्य नहीं। प्यार का बंधन किसी जाति और धर्म को नहीं मानता। जब दिल से दिल मिलता है तो जाति और धर्म बेमानी हो जाते हैं। दोनों आज़ाद प्रवृत्ति के हैं। अलग-अलग धर्म के होने पर भी दोनों में आत्मीयता है। दोनों एक – दूसरे के धर्मों का सम्मान करते हैं। सुख-दुःख में सहभागी होते हैं तथा एक-दूसरे के मनोभावों को समझते हैं। इस प्रकार से दोनों धार्मिक सद्भावना के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। दोनों का विचार है कि प्रेम जात-पात, रहन-सहन, हैसियत व रीति-रिवाज को आड़े नहीं आने देता।

प्रश्न 6. ‘टोपी शुक्ला’ कहानी हमें क्या सन्देश देती है? भारतीय समाज के लिए यह कैसे लाभकारी हो सकता है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

अथवा

प्रश्न. इफ्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है? जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग उत्तर दीजिए।

अथवा

प्रश्न. ‘टोपी शुक्ला’ पाठ में इफ्फ़न और टोपी की मैत्री के द्वारा क्या सन्देश दिया गया है? वर्तमान संदर्भों में उसकी उपयोगिता समझाइए।

उत्तर – ‘टोपी शुक्ला’ कहानी के माध्यम से कहानीकार ने हमें यह संदेश दिया है और प्रेरणा भी दी है कि हमें यह समझना चाहिए कि सभी मनुष्य एक समान हैं। वे पहले इंसान हैं और बाद में हिंदू-मुसलमान। हमें टोपी शुक्ला कहानी के अनुसार सांप्रदायिक भेदभावों को आड़े नहीं आने देना चाहिए। सांप्रदायिक एकता और सद्भावना बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। सद्भावना ही तनाव, झगड़ों को समाप्त कर सामाजिक सौहार्द की स्थापना कर सकती है।

भारत जैसे विभिन्न धर्मावलंबियों वाले राष्ट्र में इसके अनेक लाभ हैं। इससे सांप्रदायिक विवाद समाप्त होंगे, सहिष्णुता का माहौल बनेगा जो संगठित व शक्तिशाली राष्ट्र के निर्माण में सहायक होगा और विकास के पथ में अग्रसर हो सकेगा। इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता में जाति व धर्म का कोई बंधन नहीं था। इस प्रकार की मित्रता सामाजिक सौहार्द बढ़ाने में सहायक होती है। ऐसी मित्रता में कोई भेदभाव भी नहीं होता, न पारिवारिक स्तर पर और न ही सामाजिक स्तर पर। इससे दो अलग-अलग भाषाओं व संस्कृतियों को जोड़ने में सहायता मिलती है।

प्रश्न. पढ़ाई में तेज होने पर भी कक्षा में दो बार फेल हो जाने पर टोपी के साथ घर पर या विद्यालय में जो व्यवहार हुआ उस पर मानवीय मूल्यों की दृष्टि से टिप्पणी कीजिए।

अथवा

प्रश्न. एक ही कक्षा में दो – दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा? मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए।

उत्तर – ‘टोपी शुकला’ में टोपी एक मेधावी छात्र होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल हो गया। पहली बार जब वह फेल हुआ तो उसे अपने घरवालों एवं मित्रों के कटु वचन सुनने पड़े। टोपी की दादी ने उसे अनेक उलाहने दिए एवं अपने से छोटे छात्रों के साथ एक ही कक्षा में बैठना टोपी के  लिए भी बहुत ही अपमानजनक था। टोपी पढ़ाई में अच्छा था परंतु जब भी वह पढ़ने बैठता तो उसका बड़ा भाई मुन्नी बाबू उसे कोई काम थमा देता था या फिर उसकी माता उसे बाज़ार से सामान लाने हेतु भेज देती । उसका छोटा भाई उसकी कॉपियों के जहाज बना कर उड़ा देता। इन सभी परेशानियों की वजह से टोपी कक्षा में फेल हो गया और दूसरी बार उसे टायफाइड हो गया था, इस वजह से वह पढ़ न सका और फेल हो गया।

दो बार फेल होने के कारण अध्यापक भी उससे कटु वचन कहने लगे एवं उसका यह उपहास उड़ाने लगे। टोपी भीतर से मर चुका था । उसके कक्षा के छात्र तक उसका मजाक बनाते थे। जब टोपी मेहनत करने किसी प्रश्न का जवाब देने का प्रयास करता तो उसे अगले साल उत्तर देने को कह दिया जाता। यह सब उलाहने सुन-सुन कर टोपी बिल्कुल मर सा गया था। यह मारे व्यवहार मानवीयता के विरुद्ध हैं। टोपी के अध्यापकों को इसकी सहायता करनी चाहिए थी एवं उसके माता-पिता को उसे लाड़-प्यार से समझाना चाहिए था ताकि वह अकेला महसूस न करे।

प्रश्न. घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ्फ़न के घर और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए।

उत्तर – टोपी के घर वालों ने जब टोपी के व्यवहार में इफ्फ़न का प्रभाव देखा तो उन्होंने उससे इफ्फ़न के घर जाने से मना कर दिया था परन्तु टोपी का लगाव इफ्फ़न की दादी से था। वह जब भी इफ्फ़न के घर जाता तो उसकी दादी के पास ही बैठने की कोशिश करता था। इफ़्फ़न की बाजी और अम्मी उसकी बोली पर हँसती तो दादी ही बीच-बचाव करते हुए टोपी की भाषा में उन्हें डाँटती थी। वह बड़े स्नेह व आत्मीयता से उससे बात करती थी।

टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग जाति और मजहब के थे मगर दोनों अटूट रिश्ते से बँधे थे। प्यार का बंधन किसी जाति और धर्म को नहीं मानता। जब दिल से दिल मिलता है तो जाति और धर्म बेमानी हो जाते हैं। दादी ने टोपी के दिल को पहचाना और टोपी ने दादी के प्यार को माना। इस प्रकार दोनों में एक पाक-साफ रिश्ता बना। इफ्फ़न की दादी के आँचल में टोपी अपना अकेलापन भूल जाता था। दादी को भी टोपी के साथ अपनेपन का अहसास होता था।

प्रश्न. हमारे बुजुर्ग हमारी विरासत की तरह ही होते हैं। ‘टोपी शुक्ला’ पाठ का उदाहरण दीजिए और यह भी बताइए कि आप अपने घर के बुजुर्गों का कैसे ध्यान रखते हैं?

उत्तर – बुजुर्ग हमारी विरासत, हमारी धरोहर होते हैं। उनके अनुभवों से हमें ज्ञान प्राप्त होता है। वे हमें नई-नई बातें सिखाते हैं। हमारे नैतिक तथा चारित्रिक बल को ऊँचा उठाने की कोशिश करते हैं। जब टोपी इफ्फ़न के घर जाता था तो कई बार उसकी अम्मी और बाजी उसकी भाषा का मजाक उड़ाती थीं। तब इफ्फ़न की दादी ही बीच-बचाव करती थीं। उसे दादी से बहुत अपनापन मिलता था। हमारे घर में रह रहे बुजुर्गों की हम देखभाल करेंगे तथा उनकी सेवा करेंगे। हर तरह से उनका ध्यान रखेंगे।

प्रश्न. ‘टोपी शुक्ला’ पाठ में इफ्फ़न की दादी के स्वभाव की उन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण टोपी ने दादी बदलने की बात कही?

उत्तर – ‘टोपी शुक्ला’ कहानी में टोपी को अपनी दादी से कभी अपनापन नहीं मिला था। वे उसे बात-बात पर डाँटतीं और अपमानित करती रहती थीं, जबकि इफ़्फ़न की दादी उसे बहुत स्नेह करती थीं, कहानियाँ सुनाती थीं। टोपी को इफ्फ़न की दादी की बोली तिल के लड्डू या शक्कर, गुड़ जैसी लगती थी। उनका मन ममता से भरपूर था तथा वे मृदुभाषी व उदार विचारों वाली महिला थीं। टोपी को उनसे भरपूर दुलार मिलता था। यही वजह थी जिनके कारण टोपी ने दादी बदलने की बात कही।