जॉर्ज पंचम की नाक
प्रश्न. ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ के बहाने भारतीय शासनतन्त्र पर किए गए व्यंग्य को स्पष्ट करते हुए तथा पत्रकारों की भूमिका पर भी टिप्पणी कीजिए।
उत्तर : भारतीय शासन तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता एवं बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी अपनी असुरक्षा से उत्पन्न चिंता को ही दर्शाती है। पदों के छिन जाने, स्थानांतरित किए जाने, पदोन्नति रुकने जैसी हीन मानसिकता से सरकारी तंत्र ग्रस्त है तथा यह स्थिति भारतीय अधिकारियों की मानसिकता पर करारा व्यंग्य करती है, जो विदेशी शासन के आगे हाथ जोड़े खड़े रहते हैं। पत्रकारों द्वारा रानी की पोशाकों और राज परिवार से सम्बंधित खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर छापना भी उचित नहीं है। इस तरह की पत्रकारिता से आम जनता तथा युवा पीढ़ी प्रभावित होने लगती है। यदि ख्याति प्राप्त व्यक्ति का चरित्र अच्छा है तब तो ये अच्छी बात है अन्यथा इससे समाज का संतुलन बिगड़ने और आदर्शों को नुकसान पहुँचने का डर रहता है। यह एक निम्न स्तर की भटकी हुई पत्रकारिता है। जबकि पत्रकार और उनकी पत्रकारिता लोकतंत्र का वह मुख्य स्तम्भ है जो राष्ट्र और समाज दोनों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। किंतु इस तरह पत्रकारिता युवा पीढ़ी को भ्रमित एवं कुंठित करती है। युवा पीढ़ी देश की रीढ़ है, उसके कमज़ोर होने से देश कहाँ जाएगा, युवा पत्र-पत्रिकाओं को पढ़कर चर्चित हस्तियों के खान-पान एवं पहनावे को अपनाने पर मजबूर हो जाते हैं। अपनी इन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उचित-अनुचित मार्ग अपनाने में भी संकोच नहीं करते।