जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न. ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में निहित व्यंग्य को सपष्ट करते हुए बताइए कि मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना क्यों आवश्यक है?

उत्तर : जॉर्ज पंचम की नाक एक व्यंग्यात्मक निबंध है। इसमें लेखक ने तत्कालीन सरकार की मानसिक परतंत्रता और औपनिवेशिक दौर के विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट की है। अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भी सत्ता से जुड़े लोग मानसिक पराधीनता का शिकार हैं। इसी कारण जिन अंग्रेजों ने हम पर इतने जुल्म किए उनके स्वागत में लोग पलकें बिछाए बैठे हैं। साथ ही सरकारी तंत्र में नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार व्याप्त है। किसी भी समस्या के आने पर एक विभाग दूसरे पर अपनी जिम्मेदारी डालकर स्वयं छुटकारा पाने की कोशिश करता है। अफसरों में चापलूसी की प्रवृत्ति व्याप्त है। लेखक इस मानसिक परतंत्रता पर व्यंग्य करते हुए हमें सचेत करते हैं देश के सच्चे विकास और आम जनता के सच्चे सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना अत्यंत आवश्यक है।