जूझ – सार
जूझ – आनंद यादव
लेखक की बचपन में पढ़ाई हेतु संघर्ष की गाथा
जूझ : (सारांश)
आनन्दा (लेखक) गाँव में माता-पिता के साथ रहता था। पिता सारा दिन गाँव में यहाँ-वहाँ घूमने व रखमाबाई के कोठे पर बिता देते व आनन्दा से खेत में सारा काम कराते। वे आनन्दा की पढ़ाई के पक्ष में नहीं थे। लेकिन आनन्दा का मन पढ़ने को तड़पता। अतः वह गाँव के प्रभावशाली व्यक्ति दत्ताजीराव की मदद से पिता पर दबाव बनवाकर पढ़ाई के लिए राजीकर लेता है। शुरू में आनन्दा को विद्यालय में साथी छात्र चह्वाण के द्वारा बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन वसन्त पाटिल नाम के होशियार लड़के से मित्रता होने पर भी वह पढ़ाई में होशियार हो जाता है। साथ ही मराठी शिक्षक श्री सौदलगेकर के सम्पर्क व प्रोत्साहन पर स्वयं कविता लिखने लगता है। इससे आनन्दा की मराठी भाषा में सुधार आता है। वह अलंकार, छन्द, लय आदि की सूक्ष्मता भी समझने लगता है।