जिह्वा पर संयम से बरकरार रहती है परिवार में खुशी।

  • अगर आप ज्ञानी हैं पर उसका इस्तेमाल नहीं करते तो आपके ज्ञान का कोई लाभ नहीं है।
  • जो दिन परिवार के साथ बीते, वो जिंदगी है और जो दिन परिवार के बिना बीते, वो उम्र है।
  • सपनों की तलाश में व्यक्ति दुनिया भर में भटकता है, लेकिन यह तलाश परिवार के पास आकर ही पूरी होती है।
  • एक खुशहाल परिवार बनाने के लिए बहुत मेहनत लगती है। भौतिक संसाधनों से ज्यादा भावनात्मक सम्बंध अहम होते हैं।
  • परिवार में बच्चों को डराने के बजाय उनकी भावनाओं को स्थिर होने देना चाहिए एवं उनसे डरने की बजाय उनसे प्यार करना चाहिए।
  • बच्चों के लिए आलोचनात्मक होने से बचना चाहिए।
  • छोटे बच्चे भी समस्याएं सुलझाने में सक्षम होते हैं। हम सिर्फ उनकी मदद के लिए हैं।
  • हमें हार नहीं माननी चाहिएहार तभी हार बनती है, जब हम हार मान लेते हैं।
  • घर से बाहर की दुनिया बच्चों को आत्मविश्वास और आत्मसम्मान सिखाती है। यह पैसों से नहीं खरीदा जा सकता। मैदान में दौड़ने, खेलने-कूदने से अच्छी नींद आती है और एकाग्रता बढ़ती है।
  • जो मनुष्य अपने व्यवहार और जिह्वा पर संयम रखता है, वह मनुष्य अपनी आत्मा को संतापों से बचाता है। इसलिए बोलने से पहले सोचना चाहिए।