जात दी कोढ़-किरली, छतीरां नू जफ्फे
‘जात दी कोढ़-किरली, छतीरां नू जफ्फे’
ਜਾਂ / या
‘ ਜਾਤ ਦੀ ਕੋਟ ਕਿਰਲੀ, ਛਤੀਰਾਂ ਨੂੰ ਜੱਫੇ ‘
इसका अर्थ है कि अपनी हैसियत और काबिलियत से बहुत ज्यादा बढ़-चढ़ के बताने की कोशिश करते हुए हंसी का पात्र बनना।
पंजाबी में कोढ़-किरली छिपकली को कहते हैं और छतीर छत बनाते समय, उसको नीचे से सहारा देने के लिए लगाई जाने वाली लकड़ी की बड़ी लंबी बल्लियों को कहते हैं। जब छिपकली उस छतीर पर हाथ-पांव फैला के चिपकी होती है तो लगता है कि उसे गुमान है कि वही छत को संभाले हुए है। इस तरह जो इंसान अपनी हैसियत और काबिलियत से बढ़ कर कुछ दिखावा करता है तब उसे ये कहावत कही जाती है।