चेतन एवं अचेतन मन
हमारे मन के दो हिस्से हैं – एक चेतन मन और दूसरा अचेतन मन।
चेतन मन में हम जागरूक रहते हुए सब कुछ कर रहे होते हैं। यह हमारे मानसिक प्रसंस्करण का वह पहलू है जिसमें हम तर्कसंगत तरीके से सोच और बात कर सकते हैं।
चेतन मन में हमारी वर्तमान जागरूकता के अंतर्गत आने वाली संवेदनाएं, धारणाएं, यादें, भावनाएं और कल्पनाएं जैसी चीजें शामिल हैं। चेतन मन के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ अचेतन (या अवचेतन) है, जिसमें ऐसी चीजें शामिल हैं जो हम इस समय नहीं सोच रहे हैं, लेकिन जिसे हम आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं।
अपने अवचेतन मन को सक्रिय करना बच्चों से सीख सकते हैं। यह काम तो हम बचपन से करते आ रहे हैं।
जब हम बच्चों को पहली बार चलना या फिर थोड़े बड़े होकर लिखना सिखाते हैं तो वे पहली बार डर कर चलते हैं, फिर धीरे धीरे ये सब उनके अचेतन मन (subconscious mind ) में store हो जाता है।
इसी प्रकार लिखना भी सीखते समय पहले मुश्किल लगता है पर जब subconscious mind में store हो जाता है तो अंगुलियां स्वतः (1–10,A-Z,a-z,अ-ज्ञ) के साथ और भी कई भाषाएँ लिखने लगती हैं।
जब चोट लगती है तो उई मां, हे राम या हाय रब्बा; अपने आप अचेतन मन हमारे मुख में डाल देता है।
तो आप जो भी अवचेतन या अचेतन या subconscious mind से करवाना चाहते हैं तो अभ्यास करते रहिए क्योंकि
करत – करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
मन को नियंत्रित करना असंभव सा जान पड़ता है और इसकी ताकत का अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि यह हमें चकित करने के मौके चूकता नहीं है।