आप जो भी बोल रहे हैं उसका अर्थ होना चाहिए। व्यर्थ में बोली गई बातों का न कोई अर्थ है और न कोई महत्व। व्यर्थ और निरर्थक बातें बोलने से बेहतर है कि चुप रहें।
कुछ व्यर्थ बोलने से दूसरों की नज़रों में आपकी महत्ता कम होगी व आपको कोई सुनना पसंद नहीं करेगा।
तथ्य के बिना कुछ भी कहने से चुप रहना बेहतर है।
जब आपके शब्द सुनने वाले को ठेस पहुंचाएं तो चुप रहना बेहतर है।
सफलता का जश्न मनाना ठीक है, लेकिन असफलता का सबक कभी नहीं भूलना चाहिए।
परिस्थितियां कैसी भी हों, नैतिकता का साथ न छोड़ें।
सिर्फ सफल होने के लिए नहीं, बल्कि मूल्यवान बनने के लिए प्रयास करें।