चुप रहना बेहतर है।


  • आप जो भी बोल रहे हैं उसका अर्थ होना चाहिए। व्यर्थ में बोली गई बातों का न कोई अर्थ है और न कोई महत्व। व्यर्थ और निरर्थक बातें बोलने से बेहतर है कि चुप रहें।
  • कुछ व्यर्थ बोलने से दूसरों की नज़रों में आपकी महत्ता कम होगी व आपको कोई सुनना पसंद नहीं करेगा।
  • तथ्य के बिना कुछ भी कहने से चुप रहना बेहतर है।
  • जब आपके शब्द सुनने वाले को ठेस पहुंचाएं तो चुप रहना बेहतर है।
  • सफलता का जश्न मनाना ठीक है, लेकिन असफलता का सबक कभी नहीं भूलना चाहिए।
  • परिस्थितियां कैसी भी हों, नैतिकता का साथ न छोड़ें।
  • सिर्फ सफल होने के लिए नहीं, बल्कि मूल्यवान बनने के लिए प्रयास करें।