चिंता छोड़ दें

  • जीतना चाहते हैं तो स्वयं के आलोचक बनिए।
  • ऐसे लक्ष्य जो साधना मुश्किल है उन्हें लेकर परेशान नहीं होना चाहिए। उन्हें पाने के लिए जितनी मशक्क़त करेंगे, कम ही लगेगी। इसलिए जो मुमकिन हो, उसी पर ध्यान देना चाहिए।
  • जब हमारी प्रवृत्ति राय बनाने की हो जाती है तो हम सिर्फ नकारात्मक गुणों की ओर ध्यान देने लगते हैं। चाहे वो हमारे हों या किसी ओर के।
  • खुद पर संदेह करना यदि वक्त रहते रोका न जाए तो वह खरपतवार की तरह बन जाता है। जिसे समय रहते उखाड़ कर फेंका न गया तो वो हर जगह अपनी जड़ें फैला देगा।
  • सकारात्मक नहीं रहेंगे या बिगड़ी चीज़ों को बनाने के बारे में विचार नहीं करेंगे तो वे कभी ठीक नहीं होंगी। कभी हल भी नहीं होंगी
  • जिंदगी कितनी खूबसूरत और कीमती होती है, यह तब समझ में आता है, जब सब कुछ उलट-पलट हो जाता है।
  • जब तक जिंदगी आराम से बिना किसी उतार-चढ़ाव के चलती रहती है, सब कुछ ठीक-ठाक सामान्य रहता है तो उसकी कद्र नहीं होती है।
  • हम अपना सर्वश्रेष्ठ तभी दे सकते हैं, जब सभी प्रकार के डर हमारे अंदर से निकल जाते हैं ।
  • अपने जीवन में उन लोगों को अहम और जरूरी स्थान देना चाहिए, जो हमारी सफलता का ख्वाब देखते हैं। यह आपकी सबसे बड़ी ताकत हो सकते हैं। आपकी हर उपलब्धि के लिए एक वजह होनी चाहिए कि आप क्यों कर रहे हैं, किसके लिए और इससे क्या होगा ? इसका जवाब हमारे पास होना ही चाहिए।
  • परिवार के साथ बिताया गया समय क्वालिटी टाइम होना चाहिए। इसमें किया गया इन्वेस्टमेंट आपको सबसे अच्छा रिटर्न – खुशियों की ताकत के रूप में देता है। ये खुशियों की ताकत ही है, जो आपको सर्वश्रेष्ठ की ओर लेकर जा सकती हैं।