चल रहे हैं घर, क्योंकि स्त्री 👩 चाहती है कि घर चलें।


आज महिला दिवस के उपलक्ष्य पर जानते हैं महिलाओं की खूबियों के बारे में और अपनी तरफ़ से हर कोशिश, जो वे करती हैं कि परिवार चलते रहें। वे खूबियाँ, जो सहज रूप से उसमें विद्यमान हैं।


सृष्टि का चक्र ठीक चल रहा है। ममता, धैर्य और भरोसा बचा हुआ है, तो घर चल रहे हैं, यह कायनात चल रही है।

  • घर का खाना मिल रहा है, घर भूतों के डेरे नहीं हैं, दफ्तरों में, स्कूलों में काम सुचारू रूप से चल रहे हैं… सूची बनाएं तो स्त्री की खूबियों के लिए जगह कम ही पड़ेगी।

स्त्रियों की सबसे बड़ी कमजोरी है – उनके अंदर एहसास-ए-कमतरी आ जाना। बल्कि ऐसा होता नहीं है, वे किसी रूप में भी किसी से कम नहीं होती।

  • वो बेटी हो, बहन हो, बुआ, मामी, चाची, ताई या पत्नी हो, माँ हो, नानी हो, दादी हो या किसी भी रूप में हो, हमेशा सशक्त होती है। बस जरूरत है तो उसे यह समझने की, कि वह कमजोर नहीं है, किसी से कम नहीं है।

आपको अपनी खूबियों को जानना और उन पर गर्व करना चाहिए, तभी उनका सदुपयोग कर पाएंगे।
  • घर के बाहर भी दफ्तरी और कारोबारी सफलता के लिए स्त्री होना ही पर्याप्त है। कल तक जिन गुणों को कमजोरी माना जाता था, अब वे जरूरी हो गए हैं। जरूरत है तो अपनी योग्यताओं को पहचान कर उनका सदुपयोग करने की।

हमें छोटे-छोटे लक्ष्य तय करके आगे बढ़ते रहना चाहिए। अपनी इच्छाओं को मन में दबाकर नहीं रखना चाहिए। महिलाएं यहीं गलती कर बैठती हैं, जिससे उन्हें बचना चाहिए

  • अपनी सहज खूबियों के साथ समान अभिरूचि वाली महिलाएं मिलकर आगे बढ़ सकती हैं।

महिलाओं को यह पता है कि अपने काम का आनन्द लेना चाहिए। जिंदगी में एक जुनून हो, तो जीने का मजा अलग ही होता है।
  • महिला यह जानती है कि हर सक्षम महिला को दूसरी महिलाओं के बारे में जरूर सोचना चाहिए।

स्त्री अपने आप में एक पूर्ण वृत्त होती है, जो कि सृजन, पोषण और रूपांतरण करने की शक्तियां रखती है।
  • महिलाओं का यह गुण – किसी को कुछ बनाकर खिलाना न सिर्फ ख़ुद को भी खुशी और सन्तुष्टि से भर देता है, बल्कि इसकी प्रक्रिया में कई ऐसे गुण भी विकसित होते हैं, जोकि कैरियर सहित जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी बराबर काम आ सकते हैं।

महिलाओं को यह पता रहता है कि खाना पकाना मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद है, क्योंकि इसमें संयमित तथा सचेत रहने की आवश्यकता होती है। इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
  • यदि आप जीवन के किसी एक भाग में व्यवस्थित हैं तो बड़ी सहजता से जीवन के दूसरे हिस्सों में भी वैसे ही हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि रसोई के काम एग्जीक्यूटिव फ़ंक्शन को बेहतर बनाते हैं।

मातृत्व को एक स्त्री की सर्वोच्च उपलब्धि कहा जाता है, यह गुण हर स्त्री के अंदर गुंथे होते हैं। कुदरत ने औरत को माँ के रूप में तैयार किया है। उसके सारे गुण और खूबियां बच्चे के पालन-पोषण के लिहाज से विकसित होती गई हैं।

  • प्रकृति ने स्त्री को संवेदनशील, सहनशील, सेवाभावी, परवाह करने वाली और त्यागी बनाया है।

मातृत्व के अपने जन्मजात गुणों के कारण महिलाएं शिक्षण, देखभाल, सेवा, सहायता, चिकित्सा, खानपान आदि से जुड़े प्रोफेशन के लिए सही होती हैं।
  • एक महिला कभी भी इसलिए ताकतवर नहीं होती कि वो डरती नहीं है, बल्कि इसलिए ताकतवर होती है कि डर होने के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ती जाती है।


नारी हमेशा ही सशक्त रही है। नारीवाद का सम्बंध नारी की शक्ति की शक्ति को लेकर दुनिया के दृष्टिकोण को बदलने से है।

  • महिलाओं के लिए भी सफल होना उतना ही जरूरी है, जितना कि पुरुषों के लिए, वह भी अपनी अच्छाई और सहज प्रवृत्ति से समझौता किये बिना।

यह सच है कि माँ के आंचल से ज्यादा सुरक्षित जगह इस पूरी दुनिया में नहीं है। चाहे कितना ही तनाव हो, स्त्रियां एक मुस्कान या स्पर्श के साथ उसे छूमंतर कर सकती हैं। वे हमेशा धीरज से सुनती हैं और सब जानकर फैसले नहीं सुनातीं, बल्कि ढांढस बंधाती हैं।

  • परिवार के भीतर स्त्री की जिम्मेदारी बड़ी और महत्वपूर्ण होती है, उसे परिवार को जोड़कर रखना होता है और परिवार के भीतर विवाद टालने होते हैं। स्त्रियों के लिए सजा देना भी अंतिम विकल्प होता है।

महिलाएं धैर्यपूर्वक सुनती हैं और भावनाओं को सहजता से समझती हैं। स्त्री भावनात्मक सम्प्रेषण अधिक बेहतर ढंग से कर सकती है।
  • प्रेम और सहानुभूति के साथ दिल की बात कहलवा लेने में महिलाओं का कोई सानी नहीं होता। वे छोटी-बड़ी हर भावना को महत्व देती हैं और उनके लिए किसी की खिल्ली नहीं उड़ाती।


महिलाएं जन्मजात काउंसलर होती हैं। अपने इन सहज गुणों को विकसित करते हुए महिलाएं उचित शिक्षा, प्रशिक्षण और तकनीकी ज्ञान भी प्राप्त कर लें, तो बेहतर पेशेवर काउंसलर बन सकती हैं।

  • सीखने का एक सलीका होता है और स्त्री यह जानती है।


आमतौर पर स्त्रियां खुद अपने आप से प्रभावित रहती हैं, क्योंकि वे जीवन भर अपनी गलतियों से सीखती रहतीं हैं।

सीखने की प्रक्रिया में –

कंजूस लोगों से उदारता सीखती है।

अव्यावहारिक लोगों से व्यवहार कुशलता।

भावनात्मक तौर पर खुद को खुद ही संभालना है।

झूठों से सच बोलने का सबक लेना है।

क्रूर लोगों से प्यार और करूणा का पाठ पढ़ना है।


इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हम अनेक बुराईयों का मन मंथन होते हैं, जोकि विपरीत हवाओं में चलना सीखते हैं और अपने आदर्श स्वयं ही बन जाते हैं।

  • महिलाओं को यह पता होना चाहिए कि मल्लिका की तरह सोचिए। मल्लिका विफलता से नहीं डरती, क्योंकि कोई भी विफलता, सफलता की एक सीढ़ी ही होती है।

स्वादिष्ट भोजन बनाना इतना मुश्किल नहीं होता, जितना मनचाहा खाना बनाना होता है, जो एक महिला नहीं करती।

  • धन सम्बन्धित अपने नारीगत गुणों के साथ ही अगर महिलाएं निवेश आदि से सम्बंधित ज्ञान भी अर्जित कर लें तो सोने पे सुहागा हो जाएगा। इसके लिए बस झिझक दूर करके आत्मविश्वास बढ़ाने और निर्णय लेने की जरूरत है।

सभी को यह याद रखना चाहिए कि किसी के लिए भी जिंदगी आसान नहीं होती। हमें यह विश्वास रखना चाहिए कि हमारे अंदर भी हुनर छुपा हुआ है, जिसे खोजना अनिवार्य है।


  • अपने अंदर यह गुण विकसित करना चाहिए कि आपको जिससे लाभ हुआ है, दूसरों को भी इससे लाभान्वित करने का प्रयास करना चाहिए।


क्योंकि जब देश की बेटी खड़ी होती है, तभी सफलता बड़ी होती है ।