घमण्ड में मदद भी नज़र नहीं आती है।
एक गाँव का पुजारी खुद को ईश्वर का बहुत बड़ा भक्त मानता था। उसे अपनी भक्ति पर घमण्ड था। एक बार गांव में बाढ़ आई और लोग वहां से जाने लगे।
लोगों ने बाढ़ में फंसे पुजारी से कहा कि हमारे साथ चलो।
पुजारी बोला – तुम लोग जाओ, मुझे भरोसा है ईश्वर मुझे बचाने आएंगे।
पानी कमर तक आ गया। तभी एक जीप आई। जीप सवार लोगों ने पुजारी से साथ चलने को कहा तो वह फिर बोला – ईश्वर मुझे बचाने आएंगे।
अब पानी कंधे तक आ चुका था। एक नाव पुजारी के पास आई और लोगों ने मदद की पेशकश की। पुजारी ने फिर वही बात दोहराई।
कुछ देर बाद एक हेलीकॉप्टर आया और बचावकर्ता ने पुजारी से साथ आने को कहा।
पुजारी फिर वही बोला – ईश्वर मुझे बचाने आएंगे।
अंततः पुजारी डूब गया और मरकर ईश्वर के पास पहुंचा।
वह ईश्वर से रोते हुए बोला – मैं आपका इतना बड़ा भक्त था, फिर भी आप मेरी मदद करने के लिए नहीं आए।
ईश्वर बोले – मैंने तीन बार तुम्हें बचाने की कोशिश की। पहले जीप भेजी, फिर नाव और फिर हेलीकॉप्टर भेजा। परन्तु तुम खुद ही बचना नहीं चाहते थे।
हमें यह याद रखना चाहिए कि इस कलयुग में भगवान कई बार हमारी मदद करने आते हैं, परन्तु हम अपने अज्ञान के चलते उस मदद से इंकार कर देते हैं।
भगवान ने हमें बुद्धि के साथ विवेक भी प्रदान किया है, जिसका प्रयोग जीवन में फैसले लेते हुए करना चाहिए।
सीख – घमण्ड के कारण कई बार सामने मौजूद मदद या समाधान पर ही व्यक्ति का ध्यान नहीं जाता।