गिल्लू : प्रश्न-उत्तर


अन्य हल प्रश्न


प्रश्न 1. गिलहरी का नाम गिल्लू कैसे पड़ा?

उत्तर : ‘गिल्लू’ गिलहरी का ही संक्षिप्त रूप है। महादेवी ने उसे कोई नया व्यक्तिवाचक नाम देने की बजाय उसके जातिवाचक नाम ‘गिलहरी’ छोटा रूप के नाम संबंधित करना शुरू कर दिया।

प्रश्न 2. भूख लगने पर गिल्लू किस तरह संकेत देता था? उसे भोजन कैसे मिलता था?

उत्तर : गिल्लू को जब भूख लगती थी तो वह चिकचिक की आवाज़ करने लगता था। महादेवी इस आवाज को समझ लेती थी। तब वह उसके लिए काजू तथा अन्य खाद्य पदार्थ भेज देती थी।

प्रश्न 3. गिल्लू महादेवी को चौंकाने के लिए क्या करता था?

उत्तर : गिल्लू महादेवी को चौंकाने के लिए छिप जाया करता था। वह कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता था, कभी परदे की चुन्नट में छिप जाता था तो कभी सोनजुही की पत्तियों में बैठ जाता था।

प्रश्न 4. गिल्लू भोजन किस प्रकार करता था?

उत्तर : पहले गिल्लू महादेवी की थाली में बैठ जाया करता था बाद में महादेवी ने उसे थाली के पास बैठना सिखाया। अतः बाद में वह एक-एक चावल बड़ी कुशलता से उठाता था और बड़ी सफाई से खाता था। काजू उसका प्रिय भोजन था।

प्रश्न 5. लेखिका व गिल्लू के आत्मिक संबंधों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : लेखिका व गिल्लू के आपसी संबंध बड़े ही मधुर व स्नेहिल थे। वह लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए कभी परदे पर सर्र से चढ़ता-उतरता, कभी परदे की चुन्नट में छिप जाता तो कभी सोनजुही की पत्तियों में। गिल्लू का लेखिका के पास बैठकर बड़ी सफाई से उनकी थाली में से एक-एक चावल उठाकर खाना आपसी लगाव का ही परिणाम था। लेखिका की अस्वस्थता की स्थिति में किसी परिचारिका की भाँति उनके सिरहाने बैठकर गिल्लू का उनके बालों को सहलाना तथा जीवन के अंतिम दिनों में उसका लेखिका की उँगली पकड़कर चिपकना आदि क्रियाएँ भी उनके घनिष्ठ संबंधों की द्योतक हैं।

प्रश्न 6. लेखिका को गिलहरी का बच्चा कहाँ व किस दशा में मिला?

उत्तर : लेखिका को गिलहरी का बच्चा गमले व दीवार की संधि में मरणासन्न अवस्था में मिला। दो कौओं की चोंचों के प्रहार से वह निश्चेष्ट-सा गमले से चिपटा पड़ा था।

प्रश्न 7. गिल्लू के शारीरिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

उत्तर : गिल्लू बहुत ही सुंदर प्राणी था। उसकी नीले काँच के मोतियों जैसी चमकीली आँखें थीं। उसके शरीर पर स्निग्ध रोएँ थे और उसकी पूँछ झब्बेदार थी। हर कोई उसकी ओर अनायास ही आकर्षित हो जाता था।

प्रश्न 8. लेखिका गिल्लू को लंबे लिफाफे में किस प्रकार रखती थी?

उत्तर : लेखिका गिल्लू को लंबे लिफाफे में इस प्रकार रखती थी कि उसके सिर्फ दो पंजे व सिर ही बाहर रहते थे, बाकी शरीर लिफाफे के भीतर ही बंद रहता था। ऐसी स्थिति में वह मेज पर दीवार के सहारे खड़ा रहकर लेखिका को देखा करता था।

प्रश्न 9. गिल्लू ने स्वच्छंद विहार के साथ-साथ लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने में किस प्रकार सफलता प्राप्त की?

उत्तर : गिल्लू के जीवन का पहला वसंत आया। कुछ गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करने लगीं। गिल्लू भी प्यार से बाहर झाँकने लगा। महादेवी ने उसकी जाली का एक कोना खोलकर उसे जाने का मार्ग दे दिया। उसने मुक्ति की साँस ली। महादेवी जी जब भी अपना कमरा खोलकर अंदर आती थीं, गिल्लू उनके सिर से पाँव तक दौड़ लगाने लगता। यह उसका रोज का क्रम बन गया था। अब गिल्लू अपने साथियों के बीच जाकर उनका नेता बन गया। वह दिन भर पेड़ों की डालों पर उछलता-कूदता रहता था। ठीक चार बजे वह वापस अपनी जाली में आ जाता था। उसमें लेखिका को चौंकाने की इच्छा जाग गई थी। इसलिए वह कभी फूलदान में छिप जाता था तो कभी परदे की चुन्नट में छिप जाता था। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि मानव हो या जीव-जंतु, अपने अपनत्वपूर्ण व्यवहार से सबका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने में सफलता प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 10. ‘गिल्लू एक संवेदनशील प्राणी है’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : ‘गिल्लू’ नामक गिलहरी एक संवेदनशील प्राणी है। स्वस्थ होते ही उसने महादेवी की संवेदना को समझ लिया था।

इसलिए उसने सबसे पहले अपने पंजों से महादेवी की उँगली को थामा। एक प्रकार से उसने सहारा पाने के लिए धन्यवाद प्रकट किया। फिर वह अपनी भिन्न-भिन्न तरह की क्रीड़ाओं में महादेवी जी को सम्मिलित करने की कोशिश करता। कभी सर्र से परदे पर चढ़ जाता कभी उतर जाता। उसने भोजन के लिए थाली के पास बैठना सीख लिया। गिल्लू की संवेदनशीलता का परिचय दो घटनाओं से मिलता है। जब महादेवी जी बीमार होकर अस्पताल में रहीं तो उसने अपना प्रिय भोजन काजू खाना छोड़ दिया। दूसरा जब महादेवी जी घर में अस्वस्थ अवस्था में लेटी रहती थीं तो वह उनके सिरहाने बैठा रहता। वह कुशल परिचारिका की तरह अपने नन्हे नन्हे पंजों से महादेवी का सिर और बाल सहलाता रहता था।

प्रश्न 11. प्रस्तुत पाठ में किसके माध्यम से पूर्वजों के पुनः धरती पर अपने प्रियजनों से मिलने हेतु आने की घटना का वर्णन किया गया है। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : पूर्वजों के बारे में कौओं से संबंधित घटना का वर्णन इस पाठ में किया गया है। हमारे पूर्वज न तो गरुड़ के रूप में आ सकते हैं, न मोर के रूप में और न हस के रूप में। पूर्वजों को पितृपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए कौआ बनकर ही प्रकट होना पड़ता है। पितृपक्ष में कौओं को आदरपूर्वक बुलाया जाता है और स्वादिष्ट भोजन भी खिलाया जाता है। ऐसा मानना है कि उन्हीं के माध्यम से भोजन पूर्वजों तक पहुँच जाता है। कौआ बड़ा विचित्र प्राणी है। कभी उसका आदर किया जाता है, कभी अनादर। यही कौआ पितृपक्ष में सम्मान का पात्र बन जाता है। दूसरी ओर दूर बसे प्रियजनों का संदेश लाता है। जब यह काँव-काँव करके हमारा सिर खा जाता है तब यह अनादर पाता है। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारे पूर्वज कौओं का रूप धारण कर अपने प्रियजनों से मिलने आते हैं।

प्रश्न 12. “गिल्लू को महादेवी का साथ पसंव था’- इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : गिल्लू एक संवेदनशील प्राणी था। उसे महादेवी से गहरा लगाव था। इसके अनेक प्रमाण हैं। जब भी महादेवी जी घर में घुसती थीं, गिल्लू उसके शरीर पर ऊपर से नीचे झूलने लगता। परंतु अगर कोई अन्य व्यक्ति अंदर आता तो वह ऐसा नहीं करता।

दूसरा प्रमाण यह है कि गर्मियों के दिनों में वह महादेवी के पास रहने के लालच में पास रखी सुराही के साथ चिपका रहता था। तीसरा प्रमाण यह था कि जितने दिन महादेवी अस्पताल में रहीं, उतने दिन तक उसने अपना प्रिय भोज्य पदार्थ काजू खाना बंद कर दिया। चौथा प्रमाण यह था कि मरने से पहले ही उसने महादेवी की उँगली थाम ली।

प्रश्न 13. लेखिका ने किस संदर्भ में गिल्लू को अपने घर पाले गए अन्य पशु-पक्षियों की तुलना में अपवाद कहा है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : लेखिका ने अनेक पशु-पक्षी पाल रखे थे। उनका सभी से लगाव था। परंतु उनमें से किसी को भी लेखिका की थाली में खाने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन गिल्लू अपवाद था। जैसे ही वे खाने के कमरे में पहुँचतों वह खिड़‌की से निकलकर आँगन की दीवार, बरामदा पार करके मेज पर पहुँच जाता और लेखिका की थाली में बैठ जाना चाहता। लेखिका ने तब उसे धाली के पास बैठना सिखाया जहाँ से वह एक-एक चावल उठाकर बड़ी सफाई से खाता रहता। काजू उसका प्रिय खाद्य था। और कई दिन काजू न मिलने पर वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बंद कर देता या झूले से नीचे फेंक देता था। यह सब क्रिया-कलाप उसे अन्य पशु-पक्षियों की तुलना में अलग ही प्रदर्शित करते हैं।