गिल्लू : प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. गिल्लू के जीवन का प्रथम वसंत आने पर लेखिका ने क्या किया?
उत्तर : गिल्लू के जीवन का प्रथम वसंत आने पर महादेवी जी ने उसे मुक्त करने के लिए खिड़की की जाली की कीलें निकाल कर उसका एक कोना खोल दिया। गिल्लू इसी रास्ते से घर से बाहर आने – जाने लगा।
प्रश्न 2. कॉलेज से आने पर जब वे अपने कमरे में प्रवेश करती, तब गिल्लू क्या करता?
उत्तर : कॉलेज से लौटने पर जब महादेवी अपने कमरे में प्रवेश करती, तब गिल्लू जाली से दीवार के भीतर आकर लेखिका की साड़ी का पल्लू पकड़ लेता और सिर से पैर तक दौड़ लगाने लगता, यह उसका नित्य कर्म था।
प्रश्न 3. ” गिल्लू इनमें अपवाद था” – लेखिका ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर : गिल्लू इनमें अपवाद था। लेखिका ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि लेखिका के पास बहुत से पशु – पक्षी थे। लेकिन किसी ने भी लेखिका की थाली में खाना खाने की हिम्मत नहीं की, सिवाय गिल्लू के।
प्रश्न 4. उनकी अस्वस्थता के दौरान गिल्लू ने क्या – क्या किया?
उत्तर : महादेवी की अस्वस्थता के दौरान गिल्लू लेखिका के सिरहाने बैठ अपने नन्हें-नन्हे पंजों से उनके बालों और सिर को हौले-हौले सहलाता रहता और वह उन्हें परिचारिका का अहसास करवाता।
प्रश्न 5. उसके जीवन का अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर : गिल्लू ने अपने जीवन के अंतिम समय में न कुछ खाया – पीया, न बाहर गया । यातना में भी लेखिका के बिस्तर पर आकर ठंडे पंजों से उसकी उँगली पकड़ कर चिपक गया तथा प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ वह हमेशा के लिए सो गया।
प्रश्न 6. इस कहानी को पढ़ कर श्रीमती महादवी वर्मा के प्रति आपके मन में कौन से भाव उठ रहे हैं? उनके आचरण से आपको क्या प्रेरणा मिल रही है?
उत्तर : श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा रचित कहानी ‘गिल्लू ‘ को पढ़ कर हमारे मन में महादेवी जी के लिए असीम सम्मान के भाव उठ रहे हैं। गिलहरी के छोटे से मरणासन्न बच्चे का उपचार अपने मन की बात सुनते हुए किया तथा इसी कारण वह अपना जीवन जी सका।
उनके आचरण से हमें यहीं प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य को पशु – पक्षियों से प्यार करना चाहिए तथा उनकी रक्षा भी करनी चाहिए।