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क्या औरतें सच में ज्यादा बोलती हैं ?

21वीं सदी का सबसे बड़ा चुटकुला

दो औरतें एक जगह बैठी थी और वे चुप थीं। इस चुटकुले के ख्याल भर से ही लोगों को हंसी आ जाती है। “औरतें और वो भी खामोश, यह तो असम्भव है।”

इस चुटकुले पर लोग हंसते ही इसलिए हैं, क्योंकि मुँह बंद करके बैठी औरत उन्हें असम्भव सी जान पड़ती है।

पर इस चुटकुले की हकीकत बिल्कुल उलट है। पिछले साल अक्टूबर में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने दुनिया के 10 देशों में इस पर एक सर्वे किया कि औरतें कितना बोलती हैं और उन्होनें पाया कि पब्लिक स्पेस में औरतें मर्दों के मुकाबले ढाई गुणा कम बोलती हैं।

“But our seminar observation data show that women are not inherently less likely to ask questions when the conditions are favourable,” says Dieter Lukas, who was a postdoctoral researcher at Cambridge during the data collection.

https://www.cam.ac.uk/research/news/women-much-less-likely-to-ask-questions-in-academic-seminars-than-men
हमारी भारतीय क्लासिक किताबों पर भी कोई रिसर्च नहीं हुई। हमारे पास कोई ठोस आंकड़ा नहीं है कि रामायण, महाभारत में स्त्री पात्र कितने संवाद बोलते हैं और पुरूष कितने। लेकिन यह तो हम भी जानते हैं कि कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम में मुश्किल से 10 संवाद शकुंतला ने बोले हैं और बाकी सारे राजा दुष्यंत ने।

शकुंतला पूरी किताब में या तो प्रतीक्षा में है या उदास या रोती हुई। वो बोल नहीं रही और जो बोले भी हैं, वो संस्कृत नहीं, प्राकृत में बोले हैं। उस युग में संस्कृत कुलीनों की भाषा हुआ करती थी। सिर्फ राजा और पुरूष पात्र संस्कृत बोला करते थे।

इसलिए अगली बार जब कोई यह कहे कि औरतों का तो मुंह ही बंद नहीं होता, उन्हें कहिएगा कि भ्रम को हकीकत न मान लें और गलत चुटकुलों पर मुस्कुराएं नहीं।