कृष्ण के साथ भाव विभोर होना भक्तों को किसी भी मुश्किल से उबारने में सहायक होता है

घुड़सवारों के साथ विशाल सेना के आवागमन के लिए कुरुक्षेत्र की रणभूमि तैयार की जा रही थी। पेड़ उखाड़ने और मैदान खाली करने के लिए हाथियों का इस्तेमाल हो रहा था।

वहाँ एक पेड़ पर एक चिड़िया चार बच्चों के साथ रहती थी। जैसे ही पेड़ गिराया गया, उसका घोंसला बच्चों समेत जमीन पर आ गिरा। परन्तु उस चिड़िया के बच्चे चमत्कारिक रूप से बच गए। घबराई हुई चिड़िया मदद ढूँढने के लिए उड़ रही थी। तभी उसने भगवान श्री कृष्ण को अर्जुन के साथ मैदान का मुआयना करते देखा।

अपने छोटे पंखों से उड़ती हुई चिड़िया कृष्ण के रथ के पास पहुंची।

चिड़िया ने गुहार लगाई – ” हे कृष्ण ! मेरे बच्चों को बचा लो। युद्ध शुरू होने पर वे कुचले जाएंगे।”

कृष्ण ने जवाब दिया – ” मैं तुम्हारी बात समझ सकता हूँ, लेकिन प्रकृति के नियमों में दखल नहीं दे सकता।

चिड़िया ने कहा – हे ईश्वर, मैं बस इतना जानती हूं कि आप रक्षक हैं। मैं अपने बच्चों का भाग्य आपको सौंपती हूँ। अब यह आप पर है कि आप उन्हें मरने देते हैं या बचा लेते हैं ?”

कृष्ण ने कहा – ” समय का पहिया किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। ” इस बात का मतलब यह था कि वे कुछ नहीं कर सकते।

इस बात को सुनकर चिड़िया ने कहा – ” मैं आपका दर्शन नहीं जानती, मैं यह जानती हूं कि आप ही समय का पहिया हैं। “

कृष्ण चिड़िया से यह कहकर आगे बढ़ गए – ” अपने घोंसले में तीन हफ्तों का खाना इकट्ठा कर लो। “

इस संवाद से अंजान अर्जुन ने चिड़िया को एक तरफ हटा दिया।

दो दिन बाद, युद्ध के शंखनाद से पहले कृष्ण ने अर्जुन से धनुष बाण मांगा। अर्जुन चौक गए, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने युद्ध में हथियार न उठाने की प्रतिज्ञा ली थी।

अर्जुन से धनुष लेकर श्री कृष्ण ने एक हाथी पर निशाना साधा। लेकिन बाण हाथी को गिराने की जगह उसके गले में बंधी घण्टी में जा लगा और घण्टी नीचे गिर गई।

यह देखकर अर्जुन अपनी हंसी नहीं रोक पाए कि कृष्ण इतना आसान निशाना नहीं साध पाए और चूक गए।

अर्जुन ने पूछा –  ” मैं चलाऊँ ? “

अर्जुन की प्रतिक्रिया को नजरअंदाज करके कृष्ण ने धनुष वापिस कर दिया और कहा – ” और कुछ करने की जरूरत नहीं है। “

युद्ध शुरू हुआ और खत्म भी हो गया। एक बार फिर कृष्ण अर्जुन के साथ रक्तरंजित मैदान पर गए।

कृष्ण एक जगह रुके और अर्जुन से कहा – ” क्या तुम हाथी की यह घण्टी उठाकर एक तरफ रख दोगे ?”

अर्जुन एक बार फिर हैरान रह गए कि रणभूमि में कई चीजें हटाना जरूरी है, फिर कृष्ण धातु के तुच्छ टुकड़े को रास्ते से हटाने को क्यों कह रहे हैं ?

वे तर्क नहीं कर सकते थे। जैसे ही उन्होंने झुककर घण्टी उठाई, उनकी दुनिया हमेशा के लिए बदल गई।

एक, दो, तीन, चार और पाँच। चार छोटे पंछी एक के बाद एक उड़े और पीछे – पीछे एक चिड़िया भी गई। माँ चिड़िया खुशी से भगवान कृष्ण की परिक्रमा लगाने लगी। अठारह दिन पहले गिरी घण्टी ने पूरे परिवार की रक्षा की।

अर्जुन उसी समय भाव विभोर हो गए और कृष्ण से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगने लगे।

युद्ध जैसी स्थितियों से उबरने में कई बार आस्था भी हमारी मदद करती है।