CBSEComprehension PassageEducationकाव्यांश (Kavyansh)

काव्यांश


निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए।


कुश्ती कोई भी लड़े ढोल बजाता है सिमरू ही

जिसके सधे हाथ

भर देते हैं जोश पूरे दंगल में

उछलने लगती है मिट्टी पूरे अखाड़े की

ताक धिना धिन…. ताक धिना धिन

झाँकने लगते हैं लोग

एक-दूसरे के कन्धों के ऊपर से

उचक-उचक कर

बहुत गहरा है रिश्ता

सिमरू और ढोल का….

जैसे साँस और धड़कन का

ढोल ख़ामोश है

तो ख़ामोश है

अखाड़े की माटी

ख़ामोश ढोल को

जगाएँगे हाथ सिमरू के

ढोल बजेगा

जागेगा अखाड़ा

जागेगी माटी अखाड़े की

माटी ही तो है

जो स्वीकारती है सभी को

अच्छे हों या बुरे

हर रूप में।

और धड़कन का


प्रश्न. ढोल बजाता है सिमरू ही पंक्ति में ‘ही’ क्या इंगित करता है?

प्रश्न. कुश्ती में जोश कब भर आता है?

प्रश्न. माटी द्वारा अच्छे – बुरे सभी को स्वीकारने का क्या तात्पर्य है?

प्रश्न. ढोल तथा अखाड़े की माटी में क्या समानता बताई गई है?