काव्यांश / पद्यांश
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
जड़ दीप तो देकर हमें आलोक जलता आप है,
पर एक हममें दूसरे को दे रहा संताप है।
क्या हम जड़ों से भी जगत में हैं गए बीते नहीं?
हे भाइयो! इस भाँति तो तुम थे कभी जीते नहीं ।
हमको समय को देखकर ही नित्य चलना चाहिए, है,
बदले हवा जब जिस तरह हमको बदलना चाहिए।
विपरीत विश्व-प्रवाह के निज नाव जा सकती नहीं,
अब पूर्व की बातें सभी प्रस्ताव पा सकती नहीं ।।
है बदलता रहता समय उसकी सभी बातें नहीं।।
कल काम में आती नहीं हैं आज की बातें कई।
है सिद्धि-मूल यही कि जब जैसा प्रकृति का रंग हो,
तब ठीक वैसा ही हमारी कार्य-कृति का ढंग हो।
(क) दीपक की विशेषता क्या है?
(i) बेजान होता है
(ii) तेल के बिना जल सकता है
(iii) कष्ट सहकर दूसरों को प्रकाश देता है
(iv) अपने आप ही जलता है
(ख) कवि मनुष्य को बेजान पदार्थों से भी हीन बता रहा है क्योंकि वह –
(i) झगड़ालू है
(ii) स्वार्थी है
(iii) दूसरों को दुख देता है
(iv) दूसरों को सुख देता है
(ग) कवि किसलिए समय के साथ चलने की प्रेरणा दे रहा है?
(घ) ‘विश्व-प्रवाह’ द्वारा कवि का क्या संकेत है?
(ङ) मनुष्य की कार्य-कृति का ढंग किसके अनुसार होना चाहिए?