काव्यांश / पद्यांश
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
आज की यह सुबह है बहुत सुखकर,
कह रही उठ नया काम कर, नाम कर।
जो अधूरी रही वह सुबह कल गई,
मान ले अब यही कुछ कमी रह गई।
ले नई ताज़गी यह सुबह आ गई,
कह रही-मीत उठ, बात कर कुछ नई।
ओ सृजन -दूत तू, शक्ति-संभूत तू,
क्यों खड़ा राह में अश्व यों थाम कर।
दूसरों की बनाई डगर छोड़ दे,
तू नई राह पर कारवाँ मोड़ दे।
फोड़ दे तू शिलाएँ चुनौती भरी,
क्रूर अवरोध को निष्करूण तोड़ दे।
व्यर्थ जाने न पाए महापर्व यह,
जो स्वयं आ गया आज तेरी डगर ।
अब नए मार्ग पर नए रथ हाँकने,
हर अँधेरे से लगे दीपक झाँकने।
बन्द, अज्ञात थी आज तक जो दिशा,
उस दिशा को नए नाम हैं बाँटने।
मोड़ लो सूर्य का रथ, विपथ पथ बने,
बढ़ चलो बाधाएँ सब लांघ कर।
प्रश्न 1. आज की सुबह क्या पैगाम दे रही है?
प्रश्न 2. ताजगी भरी सुबह मानव से क्या कह रही है?
प्रश्न 3. कवि किस चुनौती को स्वीकारने की बात कह रहा है?