काव्यांश – करो ये प्रण
करो ये प्रण
अब न चलेगा काम इससे करो ये प्रण,
साथियों से अब भूल के भी न लड़ेंगे हम।
छोटा-बड़ा धनी या कि निर्धन निरीह ही हो,
सेवा त्याग से ही मूल्यांकन करेंगे हम।
साम्राज्यवादी शक्तियों को कर देंगे नष्ट,
जैसे भी बनेगा प्रण पूरा ये करेंगे हम।
देश के लिए ही हम जीवित रहेंगे ‘दीप’,
और निज देश के ही ऊपर मरेंगे हम।
मत की विभिन्नता में होंगे जो यथार्थ भेद,
सत्यता से यक्ष प्रतिपादन करेंगे हम।
अपने विचारों का प्रचार भी करेंगे किंतु,
दूसरों के साथ अनाचार न करेंगे हम।
देश की स्वतंत्रता में देंगे जो सहर्ष साथ,
भाई के समान प्रेम उनको करेंगे हम।
तन, मन, धन औ, सदैव कर्म से भी ‘दीप’
साथी देशभक्तों की सहायता करेंगे हम।
काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
प्रश्न 1. कवि क्या प्रण ले रहा है?
प्रश्न 2 . देश के प्रति कवि अपनी किस भावना को अभिव्यक्त कर रहा है?
प्रश्न 3. दूसरों के प्रति कवि के क्या भाव हैं?