कारतूस (एकांकी) – सार
हबीब तनवीर द्वारा लिखित पाठ ‘कारतूस’ एकांकी है। प्रस्तुत एकांकी पाठ में एक ऐसे ही जाँबाज के कारनामों का वर्णन है जिसका एकमात्र लक्ष्य था अंग्रेज़ों को इस देश से बाहर करना। कंपनी के हुक्मरानों की नींद हराम कर देने वाला यह दिलेर इतना साहसी था कि शेर की माँद में पहुँच कर उससे दो-दो हाथ करने की हिम्मत रखता था। वह कंपनी की बटालियन के खेमे में ही नहीं गया बल्कि उनके कर्नल पर ऐसा रौब जमाया कि वह भी उसकी वीरता का कायल हो गया।
एकांकी के नायक रूप में ब्रिटिश अफसरों के लिए सिर दर्द बना जाँबाज योद्धा वजीर अली था। अवध के दरबार में अंग्रेज़ों का बहुत प्रभाव था। सआदत अली आसिफउद्दौला का भाई और वजीर अली का दुश्मन था। जब सआदतअली को अवध के तख्त पर बिठाया गया, उससे अंग्रेज़ों को काफी आर्थिक लाभ हुआ और उनका प्रभाव भी बढ़ गया। वजीर अली अंग्रेज़ों की हुकूमत को समाप्त करना चाहता था। उसने अफगानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मा को हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने की दावत (आमंत्रण किया) दी। वजीर अली एक दिलेर, बहादुर, स्वतंत्रता प्रेमी व्यक्ति था, जिसे अंग्रेज़ सरकार और अवध का तत्कालीन नवाब अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते थे। वे किसी भी स्थिति में उसे गिरफ्तार करना चाहते थे। एक दिन ब्रिटिश लेफ्टीनेंट ने जहाँ अपना शिविर लगा रखा था, वहाँ वजीर अली एक घुड़सवार के रूप में आता है और कर्नल से वज़ीर अली की गिरफ्तारी में मदद करने के लिए कारतूस माँगता है, कारतूस प्राप्त हो जाने पर वह अपना परिचय वज़ीर अली के रूप में देता है और कर्नल को जीवनदान देकर वहाँ से चला जाता है। कर्नल यह दृश्य विस्मयपूर्वक देखता रह जाता है और अंत में कर्नल उसे एक जाँबाज सिपाही के संबोधन से पुकारता है।