कहानी – लघुकथा-लेखन [Story Writing]
कहानी – लघुकथा-लेखन [Story Writing]
‘कथा’ साहित्य की तीन भिन्न-भिन्न विधाएँ हैं – उपन्यास, कहानी और लघुकथा। उपन्यास में कथा का व्यापक/ विस्तृत रूप होता है। इसमें एक मूल कथा के साथ अनेक छोटी-छोटी कथाएँ भी होती हैं। इसके पात्रों की संख्या पाँच-दस से लेकर पचासों तक हो सकती है। कहानी भी कथा की विधा है। इसका आकार दो-तीन पृष्ठों से पंद्रह-बीस पृष्ठों तक होता है। इससे लंबी कहानियाँ भी लिखी जाती है। इसमें कथा कुछ पात्रों तक सीमित रहती है।
लघुकथा आकार में कहानी से छोटी होती है। इसमें किसी घटना के एक पक्ष का सूक्ष्म चित्रण होता है। इसका आकार संक्षिप्त होता है। लघुकथाएँ चार-पाँच वाक्यों से लेकर तीन या साढ़े तीन सौ शब्द तक में लिखी जा सकती है। वैदिक काल से ही इन्हें लिखा जाता रहा है। स्वतन्त्रता के पश्चात् इनका स्वरूप परिवर्तित हुआ है।
कहानी-लेखन भी एक रुचिकर विधा है। कहानी लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए–
1. कहानी का प्रारंभ रोचक होना चाहिए।
2. वाक्यों की पुनरावृत्ति नहीं होना चाहिए
3. भाषा सरल, सरस व मौलिक होना चाहिए।
4. मुहावरों के प्रयोग से कहानी में (भाषा में) सजीवता आती है।
5. कहानी हमेशा भूतकाल में लिखी जाती है।
6. कहानी से कोई-न-कोई शिक्षा अवश्य मिलनी चाहिए।
7. कहानी की रोचकता अंत तक बनी रहनी चाहिए।
8. कहानी के संवाद भी रोचक होने चाहिए।