कव्यांश – आत्मपरिचय
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए।
मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ,
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ। मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ
मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान किया करता हूँ
प्रश्न. प्रस्तुत कविता के कवि का नाम व कविता का क्या नाम है?
प्रश्न. ‘मैं जग जीवन का भार लिए फिरता हूँ’ पंक्ति में ‘जग जीवन का भार’ शब्दों से कवि का क्या आशय है?
प्रश्न. कवि हरिवंशराय बच्चन की सांसों के तार को किसने छूकर झंकृत कर दिया?
प्रश्न. यह संसार किसको पूछता है?