कविता : मेरी माँ


मेरी माँ


जिसकी कोई जाति नहीं,

जिसकी कोई सीमा नहीं,

माँ मेरे लिए भगवान समान है

जो मेरे दुख से दुखी होती है

और मेरी खुशी से खुश होती है

जिसकी छाया मैं हूँ

माँ जो मेरा आदर्श है

जिसकी ममता और हिम्मत मुझे

दुनिया से सामना करने की शक्ति देती है।

जो छाया बनकर हर कदम पर

मेरे साथ होती है

चोट मुझे लगती है तो पीड़ा उसे होती है

माँ एक पल के लिए भी दूर होती है तो जैसे

कहीं कोई खालीपन सा लगता है

जग एक सदी जैसा महसूस होता है

वाकई माँ सा कोई सहारा नहीं

मेरे लिए मेरी माँ सुपर मॉम है।

हर मुश्किल को कर देती है आसान,

जग में माँ देती है बच्चे को पहचान।