कविता : मां


माँ तुम जैसा कोई ना देखा


माँ तुम हरदम मेरे पास,

जब कभी भी मैं हुआ उदास

न जाने कैसे?

समझे तुमने मेरे जज़्बात

करवाया

हर पल अपना अहसास

तेरा,

हर शब्द गूंजता है,

कानों में संगीत बनकर

जब हुई,

जरा सी भी दुविधा

दिया साथ तुमने गीत बनकर

दुनिया

तो बहुत देखी पर तुम जैसा कोई न देखा

तुम

माँ हो मेरी

कितनी अच्छी मेरी भाग्य रेखा

माँ

तुम जैसा कोई न देखा।