कविता : मां
भगवान का दूसरा रूप है माँ
भगवान का दूसरा रूप है माँ,
उनके लिए दे देंगे जां।
हमको मिलता जीवन उनसे,
कदमों में है स्वर्ग बसा।
संस्कार वह हमें सिखलाती,
अच्छा-बुरा हमें बतलाती।
हमारी गलतियों को सुधारती,
प्यार वह हम पर बरसाती।
तबीयत अगर हो जाए खराब,
रात-रात भर जागते रहना।
माँ बिन जीवन है अधूरा,
खाली-खाली सूना-सूना।
खाना पहले हमें खिलाती,
बाद में वह खुद है खाती।
हमारी खुशी में खुश हो जाती,
दुख में हमारे आँसू बहाती,
कितने खुशनसीब हैं हम।
होते बदनसीब वे कितने,
जिनके पास न होती माँ।