कविता : माँ आदमी को इन्सान बनाती
माँ आदमी को इन्सान बनाती
माँ, तेरी गोद मुझे,
मेरे अनमोल
होने का अहसास दिलाती है।
माँ तेरी हिम्मत,
मुझको
जग जीतने का,
विश्वास दिलाती है।
माँ तेरी सीख,
मुझे
आदमी से
इन्सान बनाती है।
माँ तेरी सूरत,
मुझे मेरी,
पहचान बताती है।
माँ तेरी पूजा,
मेरा हर
पाप मिटाती है।
माँ, तेरी याद,
मुझे
बहुत रुलाती है।
माँ तेरी हिम्मत,
मुझको, जग जीतने का
विश्वास दिलाती हैं।
माँ तेरी डाँट,
मुझे नित नई
राह दिखाती है।
माँ, माँ है और उस जैसा कोई
नहीं होता।