कविता : तू कैसा बेटा है?


तू कैसा बेटा है?



जब तू छोटा था,

तब माँ की शय्या गीली करता था।

अब तू बड़ा हो गया,

तब उसकी आँखें गीली करता है।

तू कैसा बेटा है।

जब तू छोटा था

तब माँ तुझे हाथ में लेकर चलती थी

अब उसे जरूरत है

तब तुझे उसका हाथ थामने में शर्म आती है।

तू कैसा बेटा है।।

जब तू छोटा था

तब तेरी बीमारी में वो रातों को जागती थी

अब उसकी बीमारी में

तू उसे नींद की गोली देता है।

तू कैसा बेटा है।।

जब तू छोटा था

तब वो तुझे हँसना, खेलना व लिखना सिखाती थी।

अब तू बड़ा हो गया,

तहजीब उसे सिखाता है।

तू कैसा बेटा है।।

बनना है तो बन

श्रवण जैसा बेटा

पलकों में रख उसे

फूलों पर उसे बैठा

तू ऐसा बेटा बन

तुझे माने दुनिया सारी

फिर जब न रहे वो तब

पेड़ कितना भी पुराना हो,

आँगन में लगे रहने दो।

फल-फूल न सही,

छाया तो देगा ही।

क्या तू ऐसा बेटा है ????