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कविता का सार : प्रणति


कवि : रामधारी सिंह दिनकर


प्रस्तुत कविता ‘ प्रणति ‘ कवि ‘ रामधारी सिंह दिनकर’ द्वारा रचित है। इस कविता में कवि अपनी कलम को उन वीरों की जय बोलने के लिए कह रहा है जिन्होंने अपने देश को आजाद करवाने के लिए नाना प्रकार की यातनाएं सही और हंसते – हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। कवि कह रहे हैं कि हमारे देश के असंख्य छोटे – छोटे दीपक रूपी वीर जुल्म की आंधी में मिट तो गए लेकिन कभी दुश्मन से कभी रहम की भीख नहीं मांगी। इतिहास के साथ – साथ वीरों की कुर्बानी के साक्षी सूर्य, चंद्रमा, धरती और आकाशमंडल हैं।