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कविता : कर चले हम फिदा


प्रश्न. ‘कर चले हम फ़िदा’ नामक गीत के आधार पर सैनिक जीवन की चुनौतियों का वर्णन कीजिए। सैनिकों का हौंसला बढ़ाने के लिए आप क्या करेंगे?

उत्तर – ‘कर चले हम फ़िदा’ नामक गीत के आधार पर सैनिक जीवन की अनेक चुनौतियों का वर्णन निम्नलिखित है :

सैनिक का जीवन साधारण लोगों के जीवन के विपरीत होता है। वह अपने लिए ही नहीं जीता, औरों के जीवन पर या जब देश की आज़ादी पर आ बनती है तब मुकाबले के लिए अपना सीना तान कर खड़ा हो जाता है। यह जानते हुए भी कि उस मुकाबले में औरों की जिंदगी और आज़ादी भले ही बची रहे, उसकी अपनी मौत की संभावना सबसे अधिक होती है। इस गीत में सर पर कफ़न बाँधना भारतीय वीर सैनिकों की बलिदान भावना की ओर संकेत करता है। वे मर-मिटने की भावना से विदेशी आक्रमणकारियों का मुकाबला करते हैं। वे हाड़-मांस को गला देने वाले बर्फीले प्रदेश में या शरीर को झुलसा देने वाले रेगिस्तान में भी शत्रुओं के सामने सीना तानकर खड़े रहते हैं। सैनिकों का हौंसला बढ़ाने के लिए हम उनके साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलना चाहेंगे। हम उनके परिवार के सदस्यों की हर आवश्यकता को पूरा करने के लिए तत्पर रहेंगे।

प्रश्न. सीमा पर भारतीय सैनिकों के द्वारा सहर्ष स्वीकारी जा रही कठिन परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए और प्रतिपादित कीजिए कि ‘कर चले हम फिदा’ गीत सैनिकों के हृदय की आवाज़ है।

उत्तर – देश की सीमा पर भारतीय सैनिक अनेक प्रकार की कठिन परिस्थितियों का सामना करते रहते हैं। वे अपने लिए ही नहीं जीते हैं, औरों के जीवन पर, या जब उनकी आज़ादी पर आ बनती है तब मुकाबले के लिए वे अपना सीना तान कर खड़े हो जाते हैं। यह जानते हुए भी कि उस मुकाबले में औरों की जिंदगी और आज़ादी भले ही बची रहे, उसकी अपनी मौत की संभावना सबसे अधिक होती है। इस गीत में सर पर कफ़न बाँधना भारतीय वीर सैनिकों की बलिदान भावना की ओर संकेत करता है। वे मर-मिटने की भावना से देश की सीमा पर हमेशा डटे रहते हैं। वे हाड़-मांस को गला देने वाले बर्फीले प्रदेश में या शरीर को झुलसा देने वाले रेगिस्तान में भी शत्रुओं के सामने सीना तानकर खड़े रहते है। वास्तव में ‘कर चले हम फिदा’ गीत सैनिकों के हृदय की आवाज़ है। इस गीत में कवि ने बड़े ही मार्मिक शब्दों में सैनिकों के दिल की आवाज़ को प्रस्तुत किया है। हर एक सैनिक देश की रक्षा में अपनी जान को कुर्बान कर देता है पर वह देश की इज्जत पर कभी आँच नहीं आने देता है।

प्रश्न. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

अथवा

प्रश्न. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए उसका प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – भारतीय वीर सैनिकों में देश की सुरक्षा के लिए जोश भरना तथा देशवासियों मन में देशभक्ति की भावना भरना इस गीत का उद्देश्य है। देश के लिए बलिदान होने वाला सैनिक अपने साथियों को बताता है कि उसने तथा उसके काफिले के अन्य सैनिकों ने भीषण कष्ट और संकट सहन करके भी शत्रुओं के साथ मुकाबला किया है। वे लड़ते-लड़ते शहीद हो गए, मरते दम तक उन्होंने संघर्ष किया। वह अपने अन्य सैनिक साथियों को कहता है कि वे भी देश की धरती को दुल्हन मानकर उस पर फिदा हो जाएँ। वे इसकी सुरक्षा के लिए खून की नदी बहा दें। देश के लिए मरने का अवसर कभी-कभी आता है। अतः वे नए-नए काफिले सजाकर शत्रु के साथ संघर्ष करें। उनके होते कोई भी शत्रु देश की सीमाओं में प्रवेश न कर सके। वे शत्रु रूपी रावण के संहार के लिए राम-लक्ष्मण की भाँति संघर्ष करें।

प्रश्न. कविता के आलोक में सैनिक के जीवन की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए भाव स्पष्ट कीजिए – ‘राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो।

उत्तर – कविता के आलोक में सैनिक युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान करने वाला होता है। युद्ध में चाहे कितने भी संकट आएँ, मौत सामने आ जाए फिर भी सैनिक पीछे नहीं हटता। सैनिक देश की मर्यादा और सीमाओं के विरुद्ध उठने वाले दुश्मन के हर वार का मुँहतोड़ जवाब देता है। इस पंक्ति में कवि सैनिक के द्वारा हमें सम्बोधित करते हुए कह रहा है, हे साथियो! शत्रु देश का कोई भी सैनिक हमारी मातृभूमि में प्रवेश करके हमारी सीता रूपी भारतमाता को अपमानित न कर सके। तुम ही राम हो, तुम ही लक्ष्मण हो। अब यह देश तुम्हारे हवाले है। इसकी रक्षा करना तुम्हारा कर्तव्य है।

प्रश्न.’ कर चले हम फ़िदा’ कविता के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि बलिदानी वीर भारतीय युवकों से क्या अपेक्षा करते हैं और क्यों ?

उत्तर – ‘कर चले हम फ़िदा’ नामक कविता के माध्यम से कवि देशवासियों से यह अपेक्षा करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को देश की रक्षा, उसकी मान-मार्यादा के लिए जी-जान से जुट जाना चाहिए। उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि देश की रक्षा का दायित्व सेना का और विकास का दायित्व सरकार का है। वरन तन-मन-धन के साथ देश को विकास के पथ पर आगे ले जाने का भरसक प्रयास करें और देश की रक्षा के लिए प्राणों की बाजी लगाने से भी पीछे न हटें क्योंकि देश है तो हम हैं। अपनी मातृभूमि की रक्षा करना प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है और अपने कर्तव्यों की पूर्ति प्राणों का बलिदान देकर भी करनी चाहिए।

प्रश्न. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है? कविता की दो विशेषताएँ भी लिखिए।

उत्तर – ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि बलिदान के मार्ग पर आगे बढ़ने वाले वीर सैनिकों एवं युवकों को अपने काफिले को आगे बढ़ाते हुए चलना चाहिए। कवि सैनिकों को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे साथियो, कोई भी शत्रु देश का सैनिक हमारी मातृभूमि में प्रवेश करके हमारी सीता रूपी भारतमाता को अपमानित न कर सके। कवि ने चीन के युद्ध में सीमाओं पर लड़ने वाले सैनिक देशवासियों को ‘साथियों’ शब्द से संबोधित करते हुए कहा है कि वे स्वयं तो संसार छोड़ कर जा रहे हैं, लेकिन भारत का सिर झुकना नहीं चाहिए। उनके बाद आने वाले सैनिक भी भारत की रक्षा में अपनी आहुति देकर मातृभूमि को बचाएंगे। कवि का कहना है कि वीर सैनिक मातृभूमि पर हंसते – हंसते न्यौछावर हो जाते हैं। संकट की घड़ी में अपने सुखों को छोड़कर देश सेवा में समर्पित हो जाते हैं।

प्रश्न ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में किस प्रकार की मृत्यु को अच्छा कहा गया है और क्यों? इसमें कवि क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर – ‘कर चले हम फिदा’ कविता में उन सैनिकों की मृत्यु को अच्छा कहा गया है जो देश की रक्षा करते हुए युद्ध भूमि में अपने प्राणों का बलिदान कर देते हैं। परन्तु देश पर आँच नहीं आने देते। इससे कवि यह संदेश देना चाहता है कि जब देश पर कोई विदेशी आक्रमणकारी चढ़ आए, तब हमें जी-जान लगाकर देश की रक्षा करनी चाहिए। युद्ध में चाहे कितने भी संकट आएँ, मौत सामने आ जाए, तो भी हमें बलिदान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए और हमारे अन्दर देश के लिए समर्पण और बलिदान की भावना होनी चाहिए।

प्रश्न. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता पाठक के मन को छू जाती है। आपके मत में इसके क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर – ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता पाठकों के मन को छू जाती है क्योंकि इसकी विषयवस्तु देशभक्ति से ओतप्रोत है। कवि ने इस कविता के माध्यम से सैनिकों के देश के लिए समर्पण व बलिदान होने की भावना को प्रकट किया है जो देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर इस संसार से जा रहे हैं। यह कविता देश की रक्षा के लिए। भावी सैनिक तैयार करने की भावना उत्पन्न करती है। इसकी भाषा – शैली ओजपूर्ण है तथा इसमें संगीतात्मकता की प्रधानता है। यह गीत 1962 के भारत – चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फ़िल्म ‘हकीकत’ के लिए लिखा गया है।

प्रश्न.  ‘कर चले हम फिदा’ कविता में ‘साथियो’ सम्बोधन किनके लिए किया गया है और उनसे क्या अपेक्षा की गई है?

उत्तर –  ‘कर चले हम फिदा’ कविता में कवि ने भारत – चीन के युद्ध में सीमाओं पर लड़ने वाले सैनिकों द्वारा ‘साथियो’ शब्द भारतवर्ष के देशवासियो (युवा पीढ़ी) के लिए सम्बोधन किया है और उनसे अपेक्षा की गई है कि वे सैनिक तो संसार छोड़कर जा रहे हैं और अब देश की रक्षा का उत्तरदायित्व उन देशवासियो पर है। हिमालय देश का मुकुट है, इसलिए अपने सिर भले ही कट जाएं, परंतु हिमालय का सिर नहीं झुकना चाहिए। मातृभूमि पर हँसते – हँसते न्यौछावर हो जाएं। संकट की घड़ी में अपने सुखों और स्वार्थों को छोड़कर देशसेवा में समर्पित हो जाएं।