कविता : कन्यादान
प्रश्न. ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भम्र क्यों कहा गया है?
उत्तर : स्त्री के जीवन में वस्त्र और आभूषण भ्रमों की तरह हैं, अर्थात ये चीजें व्यक्ति को भरमाती हैं। ये स्त्री जीवन के लिए बंधन का काम करते हैं अत: इस बंधन में नहीं बँधना चाहिए। वस्तुत: समाज वस्त्र और आभूषण की बेड़ियों में जकड़कर स्त्री के अस्तित्व को सीमाओं में बाँध देता है।