करवा चौथ का गीत
पंजाब में करवा चौथ पर थाली वटाते समय एक गीत गाया जाता है, जिसमें इस दिन जिन कामों को करने की मनाही है, उन्हें भी स्पष्ट किया गया है।
वीरा कुड़िये करवड़ा, सर्व सुहागन करवड़ा
ए कट्टी न अटेरी ना, खुम्ब चरखड़ा फेरीं ना
गवांड पैर पाईं ना, सुई च धागा पाईं ना
रुठड़ा मनाईं ना, सुतड़ा जगाईं ना
बहन प्यारी वीरां, चन चढ़े तां पाणी पीणा
लै वीरां कुड़िये करवड़ा, लै सर्व सुहागण करवड़ा
जिसका अर्थ इस प्रकार है :-
ए कट्टी न अटेरी ना यानि कोई चीज़ काटनी नहीं है। कुछ अटेरना नहीं है।
खुम्ब चरखड़ा फेरीं ना यानि चरखा नहीं कातना।
गवांड पैर पाईं ना यानि पड़ोसियों के घर नहीं जाना। जहाँ कथा होगी, वहीं जाना है। तातपर्य है कि पूरा आराम करें।
सुई च धागा पाईं ना यानि सुई में धागा न डालें, सीने-पइरोने का कोई काम न करें।
रुठड़ा मनाईं ना, यानि कोई रूठा हो, तो उसे परेशान न करें। उसे मनाने की कोशिश करने की भी मनाही है। बहस से दूर रहें।
सुतड़ा जगाईं ना, यानि सोते हुए को जगाने में अपनी ऊर्जा व्यय न करें।
करवा जरूर बांटें। अपनी साथिनों, सासू माँ या रिश्तेदार स्त्रियों से करवा बदलें और अगर कोई भी न हो तो माँ गौरी से करवा बदलने की रस्म पूरी करें।