प्रश्न. ‘बादल राग’ कविता में कवि बादल को किस रूप में बुलाता है, और क्यों?
उत्तर : कवि बादल का आह्वान करते हुए कहता है कि हे क्रांतिदूत रूपी बादल ! तुम आकाश में ऐसे मंडारते रहते हो जैसे पवन रूपी सागर पर कोई नाव तैर रही हो। यह नाव उसी तरह है जिस प्रकार सुख की छाया पर दुःख की छाया मंडराती है। जिस प्रकार पृथ्वी की सतह पर छिपे अंकुरों की आशा वर्षा होती है उसी प्रकार क्रांति के प्रतीक बादल है जो शोषित वर्ग में नवजीवन की आशा भरते हैं।