कक्षा 12वीं प्रश्न-उत्तर
प्रश्न. स्थान और समय को ध्यान में रखते हुए ‘दोपहर का भोजन’ कहानी को विभिन्न दृश्यों में विभाजित करें। किसी एक दृश्य का संवाद भी लिखें।
उत्तर : ‘दोपहर का भोजन’ कहानी में पहला दृश्य सिद्धेश्वरी के घर की दयनीय दशा और टूटी खाट पर लेटा उसका सबसे छोटा बेटा से है। दूसरे दृश्य में सिद्धेश्वरी का बार-बार दरवाज़े से गली में आते-जाते लोगों को देखने से है। तीसरे दृश्य में थके-हारे रामचन्द्र का आकर हताश-सा बैठना और खाना खाना और मोहन के सम्बन्ध में बात करने से है। अगले दृश्य में रामचन्द्र का भोजन करके चले जाना और मोहन का खाना खाने के लिए आना। माँ-बेटी की बातचीत। मोहन भोजन करके जाता है। अगले दृश्य में चन्द्रिका प्रसाद का परेशान मुद्रा में अपना भोजन करना। पति-पत्नी में वार्तालाप। अगले दृश्य में सिद्धेश्वरी का खाना खाने बैठना और सोते हुए पुत्र को देखते हुए आधी रोटी उसके लिए रखना। अन्तिम दृश्य में आँसू बहाते हुए सिद्धेश्वरी का भोजन करना, घर में मक्खियों का भिनभिनाना और चन्द्रिका प्रसाद का निश्चितता पूर्वक सोना।
दृश्य तीन का संवाद-
(रामचन्द्र थका-हारा-सा घर में आता है। सिद्धेश्वरी उसके हाथ-पैर धुलवाती है। वह पटरा लेकर बैठ जाता है। सिद्धेश्वरी उसके सामने थाली में खाना लगा देती है।)
सिद्धेश्वरी – दफ्तर में कोई बात हो गई है क्या?
रामचन्द्र – नहीं तो रोज़ जैसा ही था।
सिद्धेश्वरी – इतने चुप क्यों हो?
रामचन्द्र – लाला काम इतना लेता है, पर पैसे देते हुए मरता है।
सिद्धेश्वरी – कोई बात नहीं, जब तक कहीं और काम नहीं मिलता सहन करना ही पड़ेगा।
(सिद्धेश्वरी उसे और रोटी लेने के लिए कहती है पर वह सिर हिलाकर इन्कार कर देता है। रामचन्द्र हाथ धोकर बाहर निकल जाता है।)