प्रश्न. कारागार के नाम से भी डरने वाली भक्तिन लाट साहब से लड़ने के लिए क्यों तैयार हो गई थी? ‘भक्तिन’ पाठ के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर : भक्तिन लाट साहब से लड़ने के लिए इसलिए तत्पर थी क्योंकि वह अपनी मालकिन को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती थी। वह चाहती थी कि उसकी मालकिन उसके साथ सदैव रहें। इस प्रकार भक्तिन अपनी निडरता की विशेषता को उजागर करती है।