एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा – निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. बचेंद्री के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर : बचेंद्री के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) साहसी महिला : बचेंद्री एक साहसी महिला है जो एवरेस्ट अभियान में आनेवाली कठिनाइयों को जानते हुए भी एवरेस्ट पर जाने के लिए तैयार हो जाती है। वह कठिनतम चुनौतियों का सामना करना चाहती थी।
(ii) हमदर्द महिला : वह दूसरों के सुख-दुख में सहायता करनेवाली महिला है। जब उसके साथी जय और मीनू देर तक साउथ कोल कैंप नहीं पहुँचे तो वह उनकी सहायता करने के लिए एक धरमस में जूस और दूसरे में गर्म चाय लेकर नीचे की ओर चल पड़ी। कैंप के बाहर उसकी भेंट मीनू से हो गई। उसने जय को चाय पिलाई और की को जूस पिलाकर उसकी प्यास बुझाई।
(iii) आस्थावान आस्तिक महिला : वह एक आस्तिक महिला है। उसने एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर घुटनों के बल बैठकर चोटी को चूमा, फिर अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकालकर एक लाल कपड़े में लपेटकर उसकी पूजा करने के बाद उसे वहीं बर्फ़ में गाड़ दिया। इस प्रकार वह अपने आराध्य के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करती है।
(iv) विनम्र महिला : वह एक विनम्र महिला है। वह अपने नेता, उपनेता, सहयोगी, मार्गदर्शकों सबका सम्मान करती है। सफलता के शिखर को छूने के बाद भी वह सबसे पहले अपने मार्गदर्शक साथी अंगदोरजी को झुककर अभिवादन करती है। वह तेनजिंग से मिलने पर अपने-आपको नौसिखिया कहती है। इससे उसकी विनम्रता व्यक्त होती है।
प्रश्न 2. ‘बचेंद्री की एवरेस्ट यात्रा में बने कीर्तिमान में अन्य सहयोगियों की भी भूमिका रही थी।’ उदाहरण सहित टिप्पणी कीजिए।
उत्तर : हिमालय की शिखर यात्रा में उनको सहयोग देनेवाले व मार्गदर्शन करनेवाले अनेक लोग थे; जैसे-उनके नेता कर्नल खुल्लर, उपनेता प्रेमचंद, डॉ० मीनू मेहता तथा साथी अंगदोरजी। कर्नल खुल्लर शुरू से अंत तक उनका मार्गदर्शन करते रहे। उनका साहस बढ़ाया। उन्हें मृत्यु को सहजता से लेने का पाठ पढ़ाया। जब लेखिका के ऊपर कैंप तीन में अचानक बहुत बड़ा हिमखंड आ गिरा तो उनके साथी लोपसांग ने स्विस छुरी की सहायता से बर्फ़ को काटा तथा उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला तब उन्होंने वहाँ के सुरक्षा प्रबंधों की प्रशंसा की। उपनेता प्रेमचंद ने उन्हें हिमपात के खतरों से अवगत कराया। डॉ० मीनू मेहता ने सीढ़ी से पुल बनाने, लट्ठों और रस्सियों का उपयोग करने तथा अन्य तकनीकी कार्यों की जानकारी दी। अंगदोरजी की क्षमता, कुशलता और आत्मविश्वास ने लेखिका को प्रभावित किया। ल्हाटू पर्वतारोही दल का महत्वपूर्ण सहायक था। वह नायलॉन की रस्सी लेकर साथ-साथ चला। उसी ने रस्सी के सहारे चलने का प्रबंध किया। वह पर्वतशिखर पर चढ़ते समय अंगदोरजी तथा लेखिका के बीचोंबीच चलता रहा। उसका ध्येय था-संतुलन बनाना। ल्हाटू ने ही लेखिका द्वारा पर्वत शिखर पर पहुँचने, पर कर्नल खुल्लर को टेलीफ़ोन पर सूचना दी। उन्होंने लेखिका को अभियान के अंत में बधई देते हुए पूरे देश का गौरव कहा। इस प्रकार उनके सहयोगियों ने लेखिका का मार्गदर्शन करने के साथ-साथ उनका पूर्ण रूप से सहयोग किया।
प्रश्न 3. पर्वतारोहियों को हिमपात के कारण क्या-क्या परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं?
उत्तर : हिमालय के पर्वतारोहियों को हिमपात के कारण पग-पग पर परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। पूरी यात्रा के दौरान हिमपात के कारण भू-स्खलन तथा चट्टानें खिसककर नीचे गिरने की आशंका बनी रहती है। उनके कारण यात्रियों को चोट लग सकती है। वे बर्फ़ के नीचे दबकर मर सकते हैं। कभी-कभी हिमपात के कारण वातावरण में बर्फ़ की आँधी चलने लगती है। उसके कारण कुछ भी दिखना बंद हो जाता है। हिमपात के कारण रास्ते में लगाए गए निशान, झंडियाँ तथा रास्ते नष्ट हो जाते हैं। कभी-कभी यात्रियों के कैंप भी नष्ट हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त पर्वतारोहण में दल के अनेक साथी काम करते हैं। यदि कोई साथी या मार्गदर्शक कोई शर्त रख दे तो यात्रा में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।